उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्ति रद्द किए जाने के बाद पी जे थॉमस पहले ऐसे केंद्रीय सर्तकता आयुक्त बन गए हैं, जिनके खिलाफ न्यायालय ने यह कदम उठाया है.
केरल का पामोलीन आयात मामला पिछले दो दशकों से थॉमस के लिए गले की हड्डी बना हुआ है. थॉमस कथित भ्रष्टाचार से जुड़े इस मामले में आठवें नंबर के आरोपी हैं.
थॉमस (60) का नाम अगर इस मामले में नहीं आया होता, तो वह अपनी वरिष्ठता के चलते केरल के मुख्य सचिव के पद पर नियुक्त होते.
देश के 14वें सीवीसी थॉमस को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय एक समिति ने सात सितंबर, 2010 को विवादास्पद परिस्थितियों के तहत इस पद पर नियुक्त किया था.
समिति की एक सदस्य भाजपा नेता सुषमा स्वराज ने उनकी नियुक्ति का विरोध करते हुए इस मामले में अपनी असहमति दर्ज कराई थी. समिति के तीसरे सदस्य केंद्रीय गृह मंत्री पी चिदंबरम थे.
केरल कैडर के 1973 बैच के प्रशासनिक अधिकारी थॉमस को पामोलीन मामले में आठवां आरोपी बनाया गया है. यह मामला मलेशिया से 1,500 टन पामआयल आयात करने में कथित भ्रष्टाचार से जुड़ा है.
यह सौदा सिंगापुर की एक कंपनी के माध्यम से हुआ था. उस समय कांग्रेस नेता के करुणाकरण प्रदेश के मुख्यमंत्री थे.