प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने सत्तारूढ संप्रग में समस्याओं की बात स्वीकार करते हुए कहा है कि विकास दर को नौ फीसदी तक ले जाने के लक्ष्य को हासिल करने के लिए सभी राजनीतिक दलों को मिलकर काम करने की जरूरत है.
मनमोहन ने खुदरा क्षेत्र में एफडीआई के लिए समयसीमा पर टिप्पणी करने से इंकार कर दिया. उन्होंने गुरुवार को कहा कि मैं कुछ नहीं कहूंगा. संसद का सत्र चल रहा है.
राजनीतिक सहमति की कमी के कारण विकास दर प्रभावित होने संबंधी अपने बयान का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि मेरा उद्देश्य ऐसा माहौल तैयार करना है जहां सभी राजनीतिक दल मिलकर काम करेंगे और राष्ट्रीय हित को प्राथमिकता देंगे.
सत्तारूढ़ गठबंधन में समस्याओं की ओर इंगित किए जाने पर प्रधानमंत्री ने कहा कि मैं नहीं कह रहा हूं कि यहां कोई समस्या नहीं है. गठबंधन में समस्याएं हैं और विपक्ष के साथ भी समस्याएं हैं.
उन्होंने कहा कि हमें फिर से सोचना होगा. भारत को बड़ा सोचने की जरूरत है. नौ फीसदी की विकास दर को हासिल करने के लिए राजनीतिक दलों को मिलकर काम करने की जरूरत है. भारत यह विकास दर हासिल करने में सक्षम है.
वस्तु एवं सेवा कर के कार्यान्वयन के जरिए कर सुधारों को शुरू करने के बारे में मनमोहन ने कहा कि आर्थिक मोर्चे पर इससे एक मजबूत संकेत जाएगा. प्रधानमंत्री ने कहा कि अगर जीएसटी का कार्यान्वयन हो जाता है तो इससे आर्थिक मोर्चे पर मजबूत संकेत जाएगा. वित्त मंत्रालय मुख्यमंत्रियों के साथ मिलकर काम कर रहा है. इसके लिए अधिकार प्राप्त एक समूह भी है.
विकास को राष्ट्रीय सुरक्षा से जोड़ते हुए उन्होंने कहा कि अगर अर्थव्यवस्था अच्छा नहीं करती है तो इससे राष्ट्रीय सुरक्षा प्रभावित होगी. मनमोहन ने कहा कि अगर अर्थव्यवस्था बुरा करती है तो राष्ट्रीय सुरक्षा प्रभावित होगी. इससे लोगों में असंतोष पैदा होगा. इससे बेरोजगारी होगी जो एक समस्या बन सकती है.
देश की अर्थव्यवस्था की कुछ एंजेसियों की ओर से की गई रेटिंग के बारे में प्रधानमंत्री ने कहा कि मैं किसी रेटिंग एजेंसी की आलोचना नहीं करना चाहता. वे कुछ ज्यादा ही कर रही हैं.