बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने कहा है कि एक ओर जहां वालमार्ट का स्वागत किया जा रहा, उसी वालमार्ट के खिलाफ अमेरिका में प्रदर्शन हो रहा है. आडवाणी ने अपने ब्लॉग में लिखा है कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने जिस शुक्रवार (14 सितंबर) को वालमार्ट के लिए लाल गलीचे बिछाए, उसी दिन अमेरिका के सबसे बड़े शहर न्यूयार्क ने वालमार्ट के बोरिया-बिस्तर बांध दिए.
UPA ने वालमार्ट को FDI का तोहफा दिया
आडवाणी ने आगे लिखा है कि जिस दिन यूपीए सरकार ने वालमार्ट को एफडीआई का तोहफा सौंपा और लॉबिस्टों ने भरोसा दिलाया कि छोटे खुदरा व्यापारी सुरक्षित हैं, उसी दिन वेब समाचार पत्र, अटलांटिकसिटीज ने विदेशी मामलों की प्रसिद्ध पत्रिका से एक विनाशकारी हेडलाइन दी थी- 'रेडिएटिंग डेथ: हाउ वालमार्ट डिस्प्लेसेस नियरबाइ स्माल बिजनेसेस'.
अमेरिका में 'से-नो-टू-वालमार्ट'
आडवाणी ने लिखा है कि पहली जून को सैकड़ों की संख्या में प्रदर्शनकारियों ने वालमार्ट के खिलाफ वाशिंगटन डीसी में प्रदर्शन किया. पूरे अमेरिका में 'से-नो-टू-वालमार्ट' आंदोलन लगातार जारी है.
यही नहीं आडवाणी ने एनडीए सरकार के दौरान घटी एक घटना का भी जिक्र किया है. कांग्रेस सदस्य प्रियरंजन दासमुंशी ने तत्कालीन केंद्रीय वाणिज्य मंत्री अरुण शौरी से खुदरा में एफडीआई को अनुमति देने की योजना पर स्पष्टीकरण मांगा था.
आडवाणी ने लिखा है कि एनडीए सरकार के दौरान खुदरा में एफडीआई के मुद्दे पर एक बार बीजेपी और कांग्रेस के बीच तीखी नोक-झोंक हुई थी. यह घटना 16 दिसम्बर, 2002 की है.