बेकाबू होती मंहगाई को गंभीरता से लेते हुए केंद्र ने इस पर काबू पाने के लिए आज 11 सूत्री उपायों की रूपरेखा तैयार की और उस पर अमल करने के लिए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने इस महीने के आखिरी हफ्ते तक राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक बुलाने का फैसला किया है. प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में यहां हुई कैबिनेट की मूल्य संबंधी समिति में यह निर्णय किया गया.
कृषि मंत्री शरद पवार ने महंगाई पर केबिनेट की बैठक के बाद संवादाताओं को इस रूपरेखा की जानकारी देते हुए भरोसा जताया कि ‘‘चार से आठ दिन के भीतर आवश्यक वस्तुओं और हफ्ते-दस दिन में चीनी के दाम काबू में आने शुरू हो जाएंगे.’’ पवार ने कहा कि कीमतें काबू करने में मुख्य भूमिका राज्यों की है इसलिए प्रधानमंत्री ने सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक बुलाई है जो 22 या 27 जनवरी को होगी.
बैठक में निर्णय किया गया कि आसमान छूते चीनी के दामों को जमीन पर लाने के लिए सफेद चीनी को 31 दिसंबर 2010 तक शून्य डयूटी पर आयात करने की छूट होगी और इसके आयात की कोई सीमा भी नहीं होगी. इसके अलावा अगले दो महीनों में बीस से तीस लाख टन गेहूं और चावल खुले बाजार में जारी किया जाएगा जिससे इनके दाम गिर सकें. यह निर्णय भी किया गया कि जो राज्य केन्द्रीय पूल से अनाज, खाद्य तेल और अन्य आवश्यक वस्तुएं नहीं उठा रहे हैं उनके यहां जरूरी जिंसों के वितरण की वैकल्पिक व्यवस्था की जाएगी.
कृषि मंत्री ने बताया कि यह काम नाफेड और सहकारी संस्था एनसीसीएफ के जरिए कराया जाएगा.उन्होंने यह भी कहा कि उत्तर प्रदेश सहित जो राज्य प्रसंस्करण के लिए आयातित कच्ची चीनी बंदरगाहों से नहीं उठा रहे हैं उस माल के प्रसंस्करण की भी वैकल्पिक व्यवस्था की जाएगी.