सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को स्पष्ट किया कि तमिलनाडु को कावेरी नदी का पानी देने के लिए कर्नाटक को न्यायालय की ओर से दिए गए निर्देश के बावजूद प्रधानमंत्री इस बारे में निर्णय ले सकते हैं.
न्यायालय ने कर्नाटक सरकार को 28 सितंबर को कावेरी नदी प्राधिकरण (सीआरए) का आदेश लागू करने के लिए कहा था, जिसमें तमिलनाडु को प्रतिदिन 9,000 क्यूसेक पानी छोड़ने के लिए कहा गया था. न्यायालय ने सोमवार को स्पष्ट किया कि यदि प्रधानमंत्री सीआरए के आदेश की समीक्षा करना चाहते हैं तो उसका आदेश इसमें बाधक नहीं होगा.
न्यायमूर्ति डी. के. जैन तथा न्यायमूर्ति मदन बी. लोकुर की पीठ ने कहा, 'यदि कर्नाटक सरकार के आवेदन पर सीआरए के अध्यक्ष के नाते प्रधानमंत्री पूर्ववर्ती निर्णय की समीक्षा करना चाहते हैं तो इसमें न्यायालय का 28 सितम्बर का आदेश बाधक नहीं होगा.'
न्यायालय ने कर्नाटक सरकार के वकील फली नरीमन से यह भी कहा कि तमिलनाडु को पानी देने के विरोध में राज्य में जारी प्रदर्शन से कोई उद्देश्य पूरा नहीं होता. कई बार इनसे अच्छे मामले बिगड़ जरूर सकते हैं.
सीआरए ने 19 सितंबर को कर्नाटक को आदेश दिया था कि वह तमिलनाडु को पानी छोड़े, लेकिन राज्य ने इस आदेश का अनुपालन नहीं किया था. इसके बाद सर्वोच्च न्यायालय ने 28 सितंबर को कर्नाटक सरकार को इसके लिए आड़े हाथों लेते हुए सीआरए के आदेश के अनुपालन का निर्देश दिया था.
कर्नाटक 29 सितंबर से तमिलनाडु को प्रतिदिन 9,000 क्यूसेक पानी छोड़ रहा है. इसके विरोध में बेंगलुरू, कावेरी बेसिन जिलों, मैसूर तथा चामराजनगर में रोजाना प्रदर्शन हो रहे हैं.