प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन से जुड़ी हर बात में शामिल होने का आरोप लगाते हुए भाजपा ने कहा कि दोषी व्यक्ति अपनी शर्ते नहीं थोप सकता है. उसने कहा कि सिंह और गृह मंत्री पी चिदंबरम को घोटाले से संबंधित हर सवाल का जवाब देना होगा.
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मुख्य विपक्षी दल ने दावा किया कि टू जी स्पेक्ट्रम आवंटन में पहले आओ, पहले पाओ से लेकर विदेशी कंपनियों से गठजोड़ तक प्रधानमंत्री को सभी छोटी से छोटी बातों की जानकारी थी लेकिन वह अब इससे पल्ला झाड़ने की कोशिश कर रहे हैं.
राज्यसभा में विपक्ष के नेता अरूण जेटली ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘ए राजा ने प्रधानमंत्री को नौ पत्र लिखे और दोनों के बीच 18 पत्रों का आदान प्रदान हुआ. इससे स्पष्ट हुआ है कि प्रधानमंत्री स्पेक्ट्रम आवंटन की छोटे से छोटे मामले के प्रबंधन में जुड़े थे.’ उन्होंने कहा कि राजा और चिदंबरम ने सात अप्रैल 2007 की बैठक में कुछ विदेशी कंपनियों को अतिरिक्त इक्विटी दिये जाने को प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के अनुरूप बताया था. लेकिन ‘इन मामलों से दूरी बनाने का रूख’ रखने वाले प्रधानमंत्री अब इसके बारे में अनभिज्ञता प्रकट कर रहे हैं.
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जेटली ने कहा, ‘प्रधानमंत्री जाने माने अर्थशास्त्री है. लेकिन जब उनके समक्ष विदेशी साझेदार को अतिरिक्त इक्विटी आवंटन का विषय आया जो उन्हें संदेह नहीं हुआ. यह कोई जटिल प्रौद्योगिकी का विषय नहीं है.’
राज्यसभा में विपक्ष के नेता ने कहा, ‘नियमों को बीच में ही तोड़ मरोड़ दिया गया और प्रधानमंत्री इन महत्वपूर्ण सवालों का उत्तर देने की बजाए विपक्ष पर हमले की रणनीति अपना रहे हैं.’ उन्होंने कहा, ‘दोषी व्यक्ति अपनी शर्ते नहीं थोप सकता है, प्रधानमंत्री और चिदंबरम को सब बातों का जवाब देना ही होगा.’
गौरतलब है कि पीएमओ की ओर से रविवार को मीडिया में प्रधानमंत्री के निजी सचिव की उस नोटिंग के संबंध में स्पष्टीकरण आया था जिसमें स्पेक्ट्रम आवंटन से संबंधित मामले में प्रधानमंत्री के निर्देशों को प्रेषित किया गया है. 23 जनवरी, 2008 की उस नोटिंग में कहा गया है कि ‘प्रधानमंत्री चाहते हैं कि इसे अनौपचारिक तौर पर (दूरसंचार) विभाग के साथ साझा किया जाए. वह औपचारिक पत्र व्यवहार नहीं चाहते हैं और चाहते हैं कि पीएमओ को दूर रखा जाए.’
पीएमओ ने उन दावों को खारिज कर दिया था कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने विवादास्पद 2 जी स्पेक्ट्रम लाइसेंसों को जारी करने में हो रही गड़बड़ी के बारे में जानते हुए भी इसकी अनदेखी की. पीएमओ ने कहा कि दूरसंचार विभाग को अनौपचारिक तौर पर सूचित कर दिया गया था कि मौजूदा ऑपरेटरों और इस क्षेत्र में नए आने वाले ऑपरेटरों को समान मौका मिले.
पीएमओ ने एक वक्तव्य में कहा, ‘जिस मुद्दे की जांच की जा रही है उसपर विचार किए बिना इस नोटिंग से अनावश्यक कई निष्कर्ष निकाले गए हैं. इस संबंध में इस बात पर भी विचार नहीं किया गया कि किस संदर्भ में ये निर्देश दिए गए.’
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