प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के संसद में दिये बयान के बाद सरकार ने साफ किया कि उन्होंने कोयला ब्लॉक आवंटन पर नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट पर सवाल खड़े कर उनकी आलोचना नहीं की है, बल्कि केवल रिपोर्ट की खामियां बतायी हैं.
सूत्रों ने कहा कि प्रधानमंत्री ने स्पष्ट किया है कि कैग द्वारा उठाये गये सवालों के जवाब संसद की लोक लेखा समिति में दिये जाते हैं. यह समिति ही सरकार के ऑडिटर की रिपोर्ट के परीक्षण का सही मंच है.
सूत्रों ने कहा, ‘प्रधानमंत्री वैधानिक संस्था नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की आलोचना नहीं कर रहे थे. वह केवल रिपोर्ट की खामी बता रहे थे.’
उन्होंने कहा कि ऑडिटर की रिपोर्ट को कोई भी चुनौती दे सकता है.
सूत्रों ने कहा कि प्रधानमंत्री वैधानिक संस्था का सम्मान करते हैं लेकिन वह केवल यह चाहते हैं कि वह सुनिश्चित करे कि उसकी रिपोर्ट ‘सही, संतुलित और निष्पक्ष’ हो.
इसी परिप्रेक्ष्य में प्रधानमंत्री के नवंबर 2010 में कैग की 150वीं जयंती पर दिये भाषण की ओर ध्यान आकर्षित किया गया जिसमें उन्होंने कहा था कि हमारे लोकतंत्र के एक अहम प्रहरी के नाते इस संस्था की जिम्मेदारी बनती है कि वह जानबूझ कर किये गये गलत कार्यों और अनजाने में की गयी गलतियों में अंतर करे. इसके अलावा निर्णय प्रक्रिया के परिप्रेक्ष्य और परिस्थितियों की समीक्षा करे.