जम्मू कश्मीर के हालात से व्यथित प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने आज कहा कि सरकार किसी भी व्यक्ति या समूह से बातचीत करने को तैयार है लेकिन जोर दिया कि ऐसा तब तक नहीं हो सकता जब तक हिंसा खत्म नहीं हो.
प्रधानमंत्री ने कहा कि हिंसा की कुछ घटनाओं की साजिश कुछ समूहों ने रची है.
जम्मू कश्मीर के अशांत हालात पर बुलायी गयी सर्वदलीय बैठक को संबोधित करते हुए सिंह ने रेखांकित किया कि राज्य में ‘टिकाउ शांति और खुशहाली का एकमात्र रास्ता’ बातचीत और चर्चा है. जिन लोगों को सरकार के खिलाफ शिकायतें हैं, उन्हें ‘प्रशासन से बातचीत करनी होगी.’
शांति की अपील करते हुए उन्होंने जम्मू कश्मीर में लोगों, पुलिस कर्मियों और सुरक्षाकर्मियों के हताहत होने, आम आदमी के जनजीवन में ‘बड़ा व्यवधान’ उत्पन्न होने और समाज के विभिन्न वर्गों को पहुंचे वित्तीय नुकसान पर दु:ख जाहिर किया.
सिंह ने अमेरिका में एक व्यक्ति के पवित्र कुरान को कथित तौर पर अपमानित करने की घटना के जाहिरा संदर्भ में कहा कि हम सभी लोग ईद के दौरान एवं उसके बाद के उन दुर्भाग्यपूर्ण घटनाक्रमों से काफी व्यथित हैं जो विशेषकर हजारों मील दूर एक दिग्भ्रमित व्यक्ति के कथित कृत्य के परिप्रेक्ष्य में हुए थे.
सिंह ने जोर दिया कि हमें एक दूसरे से बातचीत करनी होगी. ..लेकिन यह भी सच है कि सार्थक बातचीत हिंसा और टकराव से मुक्त माहौल में ही हो सकती है. चर्चा तभी हो सकती है जब हम शांति रखें और सार्वजनिक व्यवस्था हो. इस बैठक में संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी, भाजपा के शीर्ष नेता लालकृष्ण आडवाणी, नितिन गडकरी और सुषमा स्वराज, पीडीपी नेता मेहबूबा मुफ्ती, नेशनल कांफ्रेंस प्रमुख फारूक अब्दुल्ला तथा अन्य कई दलों के नेता भाग ले रहे हैं.{mospagebreak}
जम्मू कश्मीर के हालात से निपटने के लिये उठाये जाने वाले कदमों पर चर्चा करने के मकसद से यह सर्वदलीय बैठक बुलायी गयी है. प्रधानमंत्री ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारों ने पहले ही प्रदेश की जनता और विशेषकर युवकों से हिंसा छोड़ने की अपील की है.
उन्होंने कहा, ‘‘मैं अपील दोहराता हूं.’’ जम्मू कश्मीर में बीते तीन महीने में 80 से अधिक लोगों की जान जाने के मद्देनजर बुलायी गयी सर्वदलीय बैठक में प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘मैं ऐसे किसी भी व्यक्ति या किसी भी समूह से बातचीत करने के लिये तैयार हूं जो हिंसा का पक्ष नहीं लेता हो या हिंसा नहीं करता हो.’
उन्होंने कहा, ‘‘असल में यह काफी दु:खद है कि हालिया दिनों में हमारे कुछ लोगों ने इस रास्ते (बातचीत के रास्ते) को छोड़ दिया है.’’
सिंह ने कश्मीर में सड़कों पर होने वाले विरोध प्रदर्शनों में युवकों, महिलाओं और यहां तक कि बच्चों के भी शामिल होने पर स्तब्धता और व्यथा जाहिर करते हुए कहा, ‘‘इनमें से हो सकता हे कि कुछ लोग क्षणिक आवेश में विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए हों, लेकिन इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि कुछ घटनाओं की कुछ समूहों ने साजिश रची.’ उन्होंने कहा कि बीते तीन महीने के घटनाक्रमों से हमें भविष्य के बारे में विचार करने के लिये प्रेरित होना चाहिये.
प्रधानमंत्री ने कहा कि केंद्र शांति और लोक व्यवस्था बहाल करने के लिये राज्य को हर संभव मदद मुहैया करायेगा ताकि वार्ता प्रक्रिया के लिये अनुकूल स्थितियां निर्मित की जा सकें.{mospagebreak}
उन्होंने कहा कि बीते कुछ हफ्तों में राजनीतिक परिदृश्य के कई नेताओं ने उनसे राज्य से जुड़े मुद्दों पर बातचीत की है या पत्र लिखे हैं.
सिंह ने कहा कि उन्होंने यह बैठक ‘जम्मू कश्मीर में आज हमारे समक्ष मौजूद जटिल मुद्दे’ पर विभिन्न राजनीतिक दलों से ‘मार्गदर्शन चाहने’ के लिये बुलायी है.
राज्य में शांति बहाल करने और स्थिति सामान्य करने के लिये सरकार जो विभिन्न पहल कर सकती है, उसे लेकर इस बैठक में आम सहमति निर्मित करने की कोशिश होने की संभावना है.