माकपा ने मांग की कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को 2जी और केजी बेसिन मुद्दों सहित अपनी सरकार पर लगे सभी घोटालों की जिम्मेदारी लेनी चाहिए लेकिन पार्टी ने उनसे इस्तीफा नहीं मांगा है.
पार्टी के महासचिव प्रकाश करात ने दो दिवसीय पार्टी की केंद्रीय समिति की बैठक के अंतिम दिन कहा कि 2जी स्पेक्ट्रम और केजी बेसिन घोटाले में प्रधानमंत्री की भूमिका सवालों के घेरे में है. उन्हें अवश्य जिम्मेदारी लेनी चाहिए.
यह पूछने पर कि वह सिंह से इस्तीफे की मांग क्यों नहीं करते तो करात ने कहा कि कहानी खत्म नहीं हुई है. यह अब भी खुल रही है, इंतजार कीजिए और देखिये. उन्होंने कहा कि अगर कोई व्यक्ति ईमानदार है, इसका मतलब यह नहीं कि उसकी कैबिनेट जो करती है उसकी जिम्मेदारी से वह अलग है.
करात ने कहा कि कोई ईमानदार है या आपकी देखरेख में जो हो रहा है उसके प्रति निष्ठा से इतर आपकी जिम्मेदारी क्या है? मुद्दा यह नहीं है कि मैं ईमानदार हूं या बेईमान लेकिन मेरे अंदर लपकबाज और पॉकेटमार हैं. इसलिए इसमें मेरी क्या जिम्मेदारी है?
माकपा के वरिष्ठ नेता ने दावा किया कि 2जी और केजी बेसिन दोनों मामलों से प्रधानमंत्री पूरी तरह अवगत थे लेकिन उन्होंने गलत कार्यों को नहीं रोका. करात ने आरोप लगाया कि 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन मुद्दे पर गलत कार्यों को लेकर हमने प्रधानमंत्री को छह पत्र लिखे लेकिन उन्होंने कुछ नहीं किया.
करात ने कहा कि संप्रग द्वितीय सरकार में भ्रष्टाचार में काफी बढ़ोतरी हुई है. उन्होंने कहा कि वाम मोर्चा का रूख था कि प्रधानमंत्री को लोकपाल के दायरे में लाया जाना चाहिए.
उन्होंने कहा कि इस बात का कोई औचित्य नहीं है कि प्रधानमंत्री को सेवानिवृत्ति के बाद ही लोकपाल के दायरे में लाया जाए. करात ने कहा कि प्रत्येक दिन एक नया घोटाला सामने आ रहा है चाहे यह 2जी हो, केजी हो या सीडब्ल्यूजी.
माकपा नेता ने कहा कि दिल्ली सरकार को कैग की रिपोर्ट में दोषी पाया गया है और मुख्यमंत्री शीला दीक्षित का नाम आया है. ऐसा होता रहा है कि नाम आने पर लोगों को इस्तीफा दे देना चाहिए और जब तक निर्दोष न करार दिए जाएं तब तक उन्हें पद पर नहीं रहना चाहिए लेकिन इस मामले में ऐसा नहीं हुआ है.
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