संयुक्त संसदीय समिति 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन के मामले में जांच की तैयारी कर रही है और इसके अध्यक्ष पीसी चाको ने स्पष्ट किया है कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को जेपीसी के समक्ष तभी बुलाया जाएगा जब यह पूरी तरह जरूरी हो और सदस्यों में इसे लेकर आम सहमति हो.
उन्होंने संकेत दिया कि इससे पूर्व चार जेपीसी में से किसी ने भी प्रधानमंत्री को नहीं बुलाया था और ऐसा कदम तभी उठाया जाना चाहिए जब समिति के कामकाज के निष्पक्ष परिणाम के लिए यह बिल्कुल जरूरी हो.
चाको ने कहा कि जेपीसी के समक्ष प्रधानमंत्री को बुलाना अंतिम कदम है, पहला नहीं. इस तरह का कदम तभी उठाया जा सकता है जब बिल्कुल जरूरी हो और सदस्यों के बीच इस बारे में आम सहमति हो.
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह द्वारा इस संबंध में किसी भी समिति के समक्ष पेश होने के लिए तैयार होने के उनके बयान के बारे में जेपीसी अध्यक्ष ने कहा कि यदि कोई सदस्य इस मुद्दे को उठाता है तो समिति इस पर विचार करेगी और आम सहमति से फैसला किया जाएगा.
केरल के त्रिशूर से कांग्रेस के सांसद चाको ने कहा कि 30 सदस्यीय जेपीसी की पहली बैठक 24 मार्च को होगी, जिसमें 1998 से 2008 तक की दूरसंचार नीतियों, इनके क्रियान्वयन, स्पेक्ट्रम के मूल्य और लाइसेंस जारी करने के बारे में पड़ताल की जाएगी.
समिति इस बात का पता लगाएगी कि क्या प्रणाली में किसी तरह की खामी थी और वह उसके मुताबिक कार्रवाई की सिफारिश करेगी.