संसद की लोक लेखा समिति (पीएसी) के समक्ष पेश होने की प्रधानमंत्री की पेशकश को निर्थक बताते हुए भाजपा ने कहा कि पार्टी नहीं चाहती कि मनमोहन सिंह किसी संसदीय समिति के समक्ष पेश होकर परंपरा को तोड़ें.
लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने जहां कहा कि लोकसभा के कामकाज की नियमावली के अनुसार पीएसी किसी मंत्री को भी नहीं बुला सकती और ऐसे में प्रधानमंत्री की पेशकश का कोई मतलब नहीं है. वहीं, पार्टी प्रवक्ता राजीव प्रताप रूडी ने कहा कि भाजपा नहीं चाहती कि प्रधानमंत्री परंपरा को तोड़ें.
सुषमा ने ट्विटर पर लिखा कि लोकसभा के कामकाज के नियमों के अनुसार पीएसी किसी मंत्री को भी नहीं बुला सकती, प्रधानमंत्री की बात तो दूर ही है. ऐसे में प्रधानमंत्री की पेशकश का कोई मतलब नहीं है.
रूडी ने कहा कि प्रधानमंत्री पूर्व उदाहरण के विपरीत जाकर किसी संसदीय समिति के समक्ष पेश होने की पेशकश कर रहे हैं. भाजपा नहीं चाहती कि प्रधानमंत्री कोई परंपरा तोड़ें. प्रधानमंत्री द्वारा कोई परंपरा तोड़े जाने में भाजपा दिलचस्पी नहीं रखती. अगर उन्हें परंपरा ही निभानी है तो वे जेपीसी का गठन करें जिसके पूर्व उदाहरण मौजूद हैं. गौरतलब है कि प्रधानमंत्री ने पीएसी को पत्र लिखकर यह अभूतपूर्व पेशकश की कि अगर समिति जरूरी समझती है तो वह उसके समक्ष पेश होने को तैयार हैं.
इस पर पीएसी अध्यक्ष मुरली मनोहर जोशी ने प्रतिक्रिया दी कि सिंह की पेशकश पर समिति उचित समय पर उचित फैसला करेगी.