पाकिस्तान ने आज कहा कि वर्ष 2008 के मुम्बई हमला कांड में संलिप्तता के आरोप में छह पाकिस्तानी संदिग्धों की सुनवाई कर रही आतंकवाद निरोधक अदालत को एकमात्र जीवित हमलावर अजमल कसाब के बयान के सत्यापन की जरूरत की है क्योंकि यह यह इस मामले का अहम हिस्सा है.
गृहमंत्री रहमान मलिक ने यहां संघीय जांच एजेंसी के मुख्यालय में संवाददाताओं से बातचीत करते हुए कहा, ‘‘हमने अजमल कसाब के बयान को (अपने इस मामले का) आधार का आधार बनाया है लेकिन हमारी अदालतों को उसके बयान के सत्यापन की जरूरत है और हमने इस बारे में भारत को लिखा है.’ मुम्बई हमले की पाकिस्तान द्वारा जांच के संबंध में एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि उनके भारतीय समकक्ष पी चिदम्बरम ने एक प्रेस बयान में पाकिस्तान में आरोपियों के खिलाफ सुनवाई पर असंतोष जताया है.
उन्होंने कहा, ‘हमने भारत को प्रस्ताव को दिया है कि एक पाकिस्तानी आयोग अजमल कसाब के बयान के सत्यापन के लिए नयी दिल्ली का दौरा कर सकता है लेकिन भारत ने अबतक इस संबंध में अबतक कोई जवाब नहीं दिया है. यह देरी भारत की ओर से हो रही है.’
संघीय जांच एजेंसी (एफआईए) ने मुम्बई हमले के मामले में लश्कर ए तैयबा के आपरेशन कमांडर जकीउर रहमान लखवी समेत सात संदिग्धों को गिरफ्तार किया. बहरहाल, उनकी सुनवाई पर विवादों और प्रक्रियागत देरी का साया मंडराता रहा और अबतक 160 गवाहों में से केवल एक की गवाही हो पायी.
जब संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने जमात उद दवा को प्रतिबंधित लश्कर का क्षद्म संगठन घोषित किया तब पाकिस्तन ने उसपर कार्रवाई की. देशभर में जमात उद दवा के कार्यालय बंद कर दिए गए और उसके प्रमुख हाफिज मुहम्मद सईद समेत कई नेताओं को नजरबंद कर दिया गया. लेकिन छह महीने के अंदर ही उन्हें रिहा भी कर दिया गया.
सईद जैसे कुछ लोगों ने जब हिरासत में लिये जाने को अदालत में चुनौती दी तब उन्हें रिहा कर दिया गया. सरकार ने भी जमात उद दवा को प्रतिबंधित करने के लिए कोई अधिसूचना नहीं जारी की.
भारत मुम्बई हमले की दूसरी बरसी पर इस असभ्य कृत्य को याद कर रहा है, इसी बीच पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा कि पाकिस्तान इस आतंकवादी हमले के लिए जिम्मेदार लोगों को इंसाफ के कठघरे में लाने के प्रति कटिबद्ध है.