अफगानिस्तान के राष्ट्रपति हामिद करजई ने भारत के साथ हुए रणनीतिक सहयोग समझौते के बाद पाकिस्तान को आश्वस्त करने का प्रयास करते हुए कहा कि यह उसके खिलाफ लक्षित नहीं है तथा पाकिस्तान एक ‘जुड़वां भाई’ है जबकि भारत एक ‘महान मित्र’ है.
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भारत की दो दिवसीय यात्रा के अंत में करजई ने कहा कि समझौते में कुछ भी ‘नया नहीं’ है और भारत तथा अफगानिस्तान ‘इन वर्षों में जो करते रहे हैं, उसे सिर्फ लिखित रूप दिया है.’ उन्होंने कहा कि भारत और अफगानिस्तान दोनों का इरादा रणनीतिक सहयोग को दो देशों से आगे ले जाने का नहीं है.
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करजई ने तीसरे आर के मिश्रा स्मृति व्याख्यान के बाद बातचीत में कहा, ‘पाकिस्तान एक जुड़वां भाई है, भारत एक महान मित्र है. मंगलवार को हमने अपने मित्र के साथ जो समझौता किया उससे हमारा भाई प्रभावित नहीं होगा.’ इस व्याख्यानमाला का आयोजन आबजर्वर रिसर्च फाउंडेशन ने किया था.
उन्होंने कहा, ‘भारत के साथ रणनीतिक सहयोग समझौते पर हस्ताक्षर किसी देश के खिलाफ केंद्रित नहीं है. यह किसी अन्य के खिलाफ निर्देशित नहीं है.’ उन्होंने कहा कि इससे अफगानिस्तान भी भारत की शक्ति से लाभान्वित होगा. करजई ने अपने संबोधन में कहा कि भारत और अफगानिस्तान पिछले कुछ साल से मिलकर काम कर रहे हैं और भारत ने अफगान छात्रों के लिए दो हजार से अधिक छात्रवृत्तियां मुहैया करायी हैं.
इसके अलावा भारत ने सड़कें बनवायी हैं. भारत ने जारंज-डेलाराम राजमार्ग का भी निर्माण कराया है. उन्होंने कहा कि भारत ने बिजली पारेषण लाइनें बिछायी हैं और संसद भवन का भी निर्माण कराया है. करजई ने कहा, ‘यह सब रणनीतिक है. इतने वर्षों से हम जो कर रहे थे, हमने उसे लिखित स्वरूप दिया है.’
दोनों देशों के बीच पहले ऐसे समझौते में भारत अफगान सेना और अन्य सुरक्षाकर्मियों को प्रशिक्षण देगा. करजई ने कहा कि उनके देश ने जो इच्छा व्यक्त की, भारत ने कहीं ‘ना’ नहीं कहा. ‘अफगानिस्तान इसे कभी नहीं भूलेगा और हमेशा भारत के प्रति कृतज्ञ रहेगा.’