मुंबई में वर्ष 2008 में हुए आतंकी हमलों के बारे में पाकिस्तान ने नवीनतम दस्तावेज भारत को सौंपे. इसके साथ ही पाकिस्तान ने इस मामले के सिलसिले में अपने यहां सात पाकिस्तानी संदिग्धों के खिलाफ चल रही सुनवाई के संबंध में, भारत में मुख्य गवाहों से बातचीत करने के लिए एक आयोग वहां भेजने के अपने प्रस्ताव के बारे में औपचारिक अनुरोध भी किया है.
भारतीय उप उच्चायुक्त राहुल कुलश्रेष्ठ को कल शाम विदेश मंत्रालय में बुलाया गया था जहां दक्षिण एशिया मामलों के महानिदेशक अफरासियाब मेहदी हाशमी ने उन्हें मुंबई हमलों के बारे में दस्तावेजों की 13वीं सूची सौंपी. साथ ही एक आयोग भारत भेजने के लिए औपचारिक प्रस्ताव भी दिया.
विदेश मंत्रालय से एक संक्षिप्त बयान में बताया, ‘बैठक के दौरान कुलश्रेष्ठ को मुंबई हमलों से संबंधित दस्तावेजों की 13वीं सूची और एक आयोग भारत भेजने के बारे पाकिस्तान के प्रस्ताव पर एक व्यापक औपचारिक पत्र दिया गया.’ बयान में कहा, ‘भारत सरकार से प्रस्तावित आयोग की यात्रा की अनुमति देने का अनुरोध किया गया है.’ इसमें कहा गया है कि मुंबई हमलों के सिलसिले में पाकिस्तान में चल रही सुनवाई के संबंध में पाकिस्तान की ओर से जानकारी मांगी गई है. यह जानकारी भारत सरकार से मांगी गई है.
सूत्रों ने बताया कि औपचारिक प्रस्ताव, भारत में 24 मुख्य गवाहों से पूछताछ करने के लिए एक आयोग भेजने के बारे में है. इन 24 मुख्य गवाहों में, मुंबई हमलों के दौरान पकड़ा गया एकमात्र जीवित आतंकवादी अजमल कसाब और उसका इकबालिया बयान दर्ज करने वाले मजिस्ट्रेट भी शामिल हैं. प्रस्ताव में आयोग का ब्यौरा भी है.{mospagebreak}
विधि विशेषज्ञों का कहना है कि पाकिस्तान सरकार का यह कदम आयोग के बारे में आतंकवाद निरोधक अदालत द्वारा उठाए गए सवालों के सिलसिले में है. आतंकवाद निरोधक अदालत सातों पाकिस्तानी संदिग्धों के खिलाफ सुनवाई कर रही है.
पिछली सुनवाई 16 अक्तूबर को हुई थी और तब जज ने अभियोजकों से पूछा था कि क्या पाकिस्तान सरकार ने आयोग की प्रस्तावित भारत यात्रा के बारे में भारत सरकार से लिखित अनुमति हासिल की है. अभियोजन पक्ष इस सवाल पर जज को संतुष्ट नहीं कर पाया और कुछ औपचारिकताएं पूरी करने के लिए उसने चार सप्ताह का समय मांगा. मामले की अगली सुनवाई 13 नवंबर को है जब जज एक बार फिर आयोग की प्रस्तावित भारत यात्रा का मुद्दा उठाएंगे.
पाकिस्तानी संदिग्धों के खिलाफ सुनवाई में विवाद और विलंब से बाधा आ रही है. अब तक 160 से अधिक गवाहों में से केवल एक से ही जिरह हो पाई है और दो बार जज बदले जा चुके हैं. गृह मंत्री रहमान मलिक ने हाल ही में कहा था कि सुनवाई रूकी हुई है और जब तक कसाब जैसे मुख्य गवाहों से पूछताछ की अनुमति अभियोजन पक्ष को नहीं मिलती, सुनवाई आगे नहीं बढ़ सकती.