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चीन के करीब आता जा रहा है पाक: सीआरएस

भारत-अमेरिका संबंधों में घनिष्ठता आने के साथ ही इस्लामाबाद-वाशिंगटन के बीच दूरियां बढ़ रही हैं और पाकिस्तान अब चीन के करीब आता जा रहा है.

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भारत-अमेरिका संबंधों में घनिष्ठता आने के साथ ही इस्लामाबाद-वाशिंगटन के बीच दूरियां बढ़ रही हैं और पाकिस्तान अब चीन के करीब आता जा रहा है.

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अमेरिकी कांग्रेशनल रिसर्च सर्विस (सीआरएस) की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत-अमेरिका के रिश्तों के मजबूत होने से इस्लामाबाद अब बीजिंग के लिये ज्यादा विश्वसनीय होता जा रहा है. ओसामा बिन लादेन की मौत के बाद अमेरिका पाकिस्तान के रिश्तों में आई कड़वाहट के बाद से ही पाक का चीन पर एक अंतरराष्ट्रीय सहयोगी के तौर पर भरोसा बढ़ता जा रहा है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि मई में पाक प्रधानमंत्री यूसुफ रज़ा गिलानी की चीन यात्रा के बाद ही चीन सरकार ने कहा था कि पाश्चिम को पाकिस्तान की संप्रभुता का सम्मान करना चाहिये. चीन पाकिस्तान को 50 जेएफ 17 लड़ाकू विमान जल्द सौंपने के लिये भी तैयार हो गया. अब पाक चीन से छह पनडुब्बियों की खरीद के लिये भी बात कर रहा है.

सीआरएस ने कहा, ‘पाक सरकार को उस समय कुछ शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा जब इस यात्रा से लौटे पाकिस्तानी रक्षामंत्री ने कहा कि ग्वादर बंदरगाह को चीन सैन्य इस्तेमाल के लिए तब्दील करेगा जिसके निर्माण में इसने मदद की थी.’

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रिपोर्ट में कहा गया कि हालांकि चीनी विदेश मंत्रालय ने इस तरह की प्रस्तावित योजनाओं की जानकारी होने से इनकार किया. रिपोर्ट के अनुसार कांग्रेस और कुछ अन्य विश्लेषकों में इस बात को लेकर चिंता थी कि ओसामा बिन लादेन को मारने के लिये अभियान में इस्तेमाल ‘स्टेल्थ’ हेलीकॉप्टर से हुए नुकसान की जांच चीनी अधिकारी करेंगे.

रिपोर्ट में कहा गया है कि बीजिंग ने भी इसकी जांच में रुचि दिखाई थी. चीनी अधिकारियों को इसकी जांच न करने देने के पाकिस्तान के आश्वासन के मद्देनजर अमेरिकी खुफिया सूत्रों को विश्वास है कि चीनी सैन्य अभियंताओं को ऐसा करने के लिये पाक ने अनुमति दी. बीजिंग ने जब अगस्त में शिनजियांग प्रांत में हुई हिंसा के बाद पाक में प्रशिक्षित इस्लामी संगठनों पर आरोप लगाया था तब पाक ने भी इस पर त्वरित प्रतिक्रिया दी थी. आईएसआई के प्रमुख शुजा पाशा भी चीन को शांत करने के उद्देश्य से ही वहां की यात्रा पर गये थे.

हालांकि बीजिंग भी पाक को पूरी तरह संरक्षण देने के लिये तैयार नहीं है. चीन भी पाक में लगातार बढ़ते इस्लामी कट्टरवाद को लेकर चिंतित है. साथ ही चीन ग्वादर बंदरगाह के निर्माण में हुई देरी से भी चिंता में है. इस बंदरगाह तक सड़क मार्ग का निर्माण नहीं हो पाया है. चीन हालांकि पाक-अमेरिकी दरार के बीच नहीं आना चाहता और न ही वह अमेरिका की जगह लेकर पाक का बड़ा संरक्षक बनने की इच्छा रखता है.

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