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स्वदेश नहीं लौटना चाहते अगली पीढ़ी के पाकिस्तानी: जबीन अख्तर

पाकिस्तानी मूल की अमेरिकी लेखिका एवं नीति निर्माता जबीन अख्तर का कहना है कि अमेरिका में पाकिस्तानी प्रवासियों की नई पीढ़ी में जो सम्बंध उन्हें अपने एशियाई मातृभूमि से बांधते थे, वे अब तेजी के साथ समाप्त हो रहे हैं.

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पाकिस्तानी मूल की अमेरिकी लेखिका एवं नीति निर्माता जबीन अख्तर का कहना है कि अमेरिका में पाकिस्तानी प्रवासियों की नई पीढ़ी में जो सम्बंध उन्हें अपने एशियाई मातृभूमि से बांधते थे, वे अब तेजी के साथ समाप्त हो रहे हैं.

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अख्तर ने कहा, 'पाकिस्तान और भारत में हमेशा घट रही घटनाओं के बारे में बात करने की हमसे उम्मीद नहीं की जा सकती.' अख्तर, अमेरिका में पीपुल फॉर एथिकल ट्रीटमेंट टू एनिमल (पेटा) के लिए नीतियां तैयार करती हैं. अख्तर ने कहा, 'मैं कई प्रवासी मित्रों को जानती हूं जो स्वदेश नहीं लौटना चाहते. निजीतौर पर मैं खुद वापस नहीं लौटना चाहती.'

अख्तर ने उपन्यासकार के रूप में अपनी पहली और चर्चित पुस्तक 'वेलकम टू अमेरिकास्तान' लिखी है. पुस्तक के प्रचार के सिलसिले में वह फिलहाल भारत में हैं. उन्होंने कहा कि वह वाशिंगटन डीसी में दक्षिण एशियाई युवा इस्लामिक प्रवासियों पर एक दूसरा दृष्टिकोण उपलब्ध कराना चाहती हैं.

अख्तर ने कहा कि उनकी पुस्तक पाकिस्तानी मूल की एक अमेरिकी महिला, समीरा के माध्यम से अमेरिका में पाकिस्तानी प्रवासियों की एक अपमानजनक तस्वीर प्रस्तुत करती है. बाप्सी सिद्धवा और मोनी मोहसिन जैसे लेखकों ने इस पुस्तक को मुस्लिम समुदाय पर एक मजेदार, मौलिक और विचारवान पुस्तक बताया है.

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अख्तर ने कहा कि उनकी बड़ी बहन की शादी में पारिवारिक जुटाव ने इस उपन्यास के लिए प्रेरणा दी. उन्होंने कहा, 'मैंने अपने परिवार के बारे में खुद के द्वारा लिखी गई एक लघु कथा का शादी समारोह में पाठ किया था. और मैं जानती थी कि मैं एक उपन्यास लिखना चाहती हूं. वहा चारों ओर तमाम पाकिस्तानी लेखक थे. एक पाकिस्तानी होने के अपने अनुभवों को बांटने और पाठकों का मनोरंजन करने के लिए मेरे पास एक मात्र रास्ता था कि मैं किताब लिखूं.'

अख्तर ने कहा, 'दक्षिण एशियाई साहित्य और फिल्में मुस्लिम समुदाय की एक बहुत ही रूमानी तस्वीर प्रस्तुत करती हैं. किताबों में उन्हीं पश्चिमी विचारों को बार-बार दोहराया जाता है जिसे पाकिस्तानी पसंद करते हैं.'

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