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जब खुद तानपुरा बजाया पंडित भीमसेन जोशी ने

सुरों के सच्चे साधक किराना घराने के मशहूर शास्त्रीय गायक पंडित भीमसेन जोशी सवाई गंधर्व महोत्सव के दौरान, एक तानपुरा वादक का सुर सही नहीं बैठ पाने पर इतने असहज हो गए कि उन्होंने स्वयं मंच पर जा कर तब तक तानपुरा बजाया, जब तक दूसरा वादक नहीं आ गया.

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सुरों के सच्चे साधक किराना घराने के मशहूर शास्त्रीय गायक पंडित भीमसेन जोशी सवाई गंधर्व महोत्सव के दौरान, एक तानपुरा वादक का सुर सही नहीं बैठ पाने पर इतने असहज हो गए कि उन्होंने स्वयं मंच पर जा कर तब तक तानपुरा बजाया, जब तक दूसरा वादक नहीं आ गया.

बनारस घराने के शास्त्रीय गायक राजन-साजन मिश्र की जोड़ी के साजन मिश्र ने बताया, ‘एक दफा सवाई गंधर्व समारोह में तानपुरा वादक के सुर ठीक नहीं बैठ पा रहे थे. इससे पंडित जी बहुत बेचैनी महसूस कर रहे थे.

आखिरकार उनसे रहा नहीं गया और वह खुद उठकर आये और तब तक तानपुरा बजाते रहे, जब तक दूसरा वादक नहीं आ गया. इतने सहज और दिखावे से दूर थे पंडित भीमसेन जोशी.’ सवाई गंधर्व महोत्सव स्वयं जोशी ने अपने गुरू सवाई गंधर्व की याद में शुरू किया था. इसका आयोजन पुणे में होता है और शास्त्रीय संगीत से जुड़े किसी भी कलाकार के लिए इसमे प्रस्तुति देना गर्व की बात होती है.

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मिश्र ने यादों के गलियारों में लौटते हुए कहा, ‘वह भारतीय शास्त्रीय संगीत जगत के बादशाह थे और मियां तानसेन के बाद लोगों के जेहन में शास्त्रीय गायक के रूप में पंडित जी का ही नाम आता है. वह मेरे चाचा पंडित गोपाल मिश्र के मित्र थे, इसलिए उन्हें देखने और सुनने का मौका एवं उनका स्नेह हमें बचपन से मिला.’ उन्होंने कहा कि बचपन से जिसे सुनकर हम लोग जवान हुए और बाद में उनके साथ ही कई दफा मंच पर प्रस्तुति देने का सौभाग्य मिलना किसी सपने के सच होने जैसा था.{mospagebreak}

मिश्र ने आध्यात्मिक लहजे में कहा, ‘मानव शरीर को छोड़कर एक न एक दिन हर व्यक्ति को जाना होता हैं, लेकिन व्यक्ति को ऐसे कर्म करके जाना चाहिए कि वह अमर हो जाये. पंडित जी का नश्वर शरीर भले ही हमारे बीच नहीं रहा, लेकिन उनकी आत्मा सदैव हमारे साथ रहेगी.’ उन्होंने कहा कि पंडित जी के निधन से ‘देश राग’ का एक सुर नेपथ्य में चला गया है.

प्रसिद्ध शास्त्रीय गायक मियां तानसेन के गुरू स्वामी हरिदास के वंशज और प्रसिद्ध शास्त्रीय गायक वसीफुद्दीन डागर ने कहा, ‘पंडित भीमसेन जोशी का निधन संपूर्ण शास्त्रीय संगीत जगत के लिए गहरा आघात है. किराना घराने के कई बड़े नाम हैं, लेकिन पंडित भीमसेन जोशी ने अपनी गायिकी से अपना एक अलग मुकाम बनाया और यही सबसे अहम कारण है कि उनका सभी घरानों से जुड़े संगीतज्ञ बेहद सम्मान करते थे.’

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उन्होंने कहा, ‘सरकार ने उन्हें भारत रत्न से नवाजा था, लेकिन वह वास्तव में शास्त्रीय संगीत के अमूल्य रत्न थे. मेरी जब भी उनसे मुलाकात हुई मैंने उनकी गायिकी को हमेशा जवान और जोश से भरपूर पाया. कितने भी थके होने के बावजूद वह उर्जा और जोश के साथ कार्यक्रम प्रस्तुत करते थे.’

किराना घराने के ही शास्त्रीय गायक पंडित छन्नूलाल मिश्रा ने वाराणसी से ‘फोन’ पर कहा, ‘एक दफा मैं उनके घर गया था तब उन्होंने अपने हाथों से सेब काटकर मुझको खिलाया था. वह बेहद सहृदय और सरल कलाकार थे.’ जोशी की याद करते हुए उन्होंने कहा ‘वह मेरे भाई जैसे थे. उनकी आवाज में गजब की दमकशी थी और उनके जाने के बाद खुली आवाज में गाने वाला कोई गायक मुझे नजर नहीं आता.’

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