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चर्च हमला मामलाः भाजपा, संघ परिवार को सोमशेखर आयोग की क्लीनचिट

कर्नाटक में वर्ष 2008 में हुए श्रृंखलाबद्ध हमलों के मामले की जांच कर रहे न्यायमूर्ति सोमशेखर आयोग ने सत्तारूढ़ भाजपा और संघ परिवार से जुड़े संगठनों को ‘क्लीन चिट’ दे दी है.

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एक सदस्यीय आयोग ने सरकार को सौंपी गई अपनी रिपोर्ट में कहा है ‘ईसाई याचिकाकर्ताओं की इस आशंका का कोई आधार नहीं है कि राजनीतिज्ञ, भाजपा, संघ परिवार और राज्य सरकार हमले में प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से शामिल हैं.’

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मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा को सौंपी रिपोर्ट के अनुसार, हिंदुओं के खिलाफ आपत्तिजनक भाषा के साथ भड़काने वाले साहित्य का वितरण और धर्मांतरण का मुद्दा हमले के मुख्य कारण थे. सितंबर 2008 में मंगलोर, उडुपी, चिकमंगलूर, कोलार, चिकबल्लारपुर, बेल्लारी और दावणगेरे जिलों में गिरजाघरों पर हमले किए गए थे.

आयोग ने पूजा स्थलों में ताला लगाने और श्रद्धालुओं को प्रार्थना करने से रोकने की प्रशासन की कार्रवाई को ‘प्रशासनिक प्रक्रिया तथा संवैधानिक प्रशासन के इतिहास में अप्रत्याशित’’ करार दिया है. जब रिपोर्ट सौंपी गई तब गृह मंत्री आर अशोक और विधि मंत्री एस सुरेश कुमार भी मौजूद थे. आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है, ‘सच्चे हिन्दुओं की गिरजाघरों पर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष किसी हमले में कोई भूमिका नहीं थी.’ {mospagebreak}

हालांकि इसमें इस बात का जिक्र है कि हमला करने वाले ज्ञात या अज्ञात संगठनों से जुड़े एवं ईसाई या ईसाईयत के खिलाफ गुमराह कट्टरपंथी शरारती तत्वों को इस बात की गलतफहमी थी कि उन्हें सत्ताधारी पार्टी की ओर से संरक्षण दिया जाएगा.’ साथ ही रिपोर्ट में रोमन कैथोलिक गिरजाघरों पर धर्मांतरण संबंधी आरोपों को खारिज किया गया है.

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इसमें कहा गया है कि शादी या स्वैच्छिक मामलों को छोड़ दें तो रोमन कैथोलिक गिरजाघरों या इसके सदस्यों की ओर से धर्मांतरण कराने का मामला कहीं से भी जान नहीं पड़ता. लेकिन रिपोर्ट में कहा गया कि कुछ समूहों और स्वयंभू या स्व नियुक्त पादरियों द्वारा बिना हिसाब वाले स्थानीय या विदेशी कोष के प्रयोग द्वारा व्यावसायिक लाभ के लिए कोलार, बैंगलोर, चिक्काबल्लापुर, बेल्लारी, दावानागरे, चिकमंगलूर और उडुपी में धर्मांतरण को लेकर स्पष्ट संकेत मिलते हैं. {mospagebreak}

आयोग ने सरकार को सलाह दी कि वह कोई कानून लाकर इस तरह के समूहों की गतिविधियों को संविधान के अनुच्छेद 25 के दायरे में नियंत्रित करे. रिपोर्ट में कहा गया कि हमलावरों के साथ शीर्ष पुलिस अधिकारियों और जिला प्रशासन की मिलीभगत के आरोपों में कोई दम नहीं है. स्थिति से निपटने तथा दोषियों के खिलाफ कार्रवाई में भूमिका के लिए पुलिस की तारीफ करते हुए आयोग ने कहा कि सभी जिलों से संबंधित पुलिस ने सर्वश्रेष्ठ प्रयास किए और अधिकतर शरारती तत्वों को पकड़ने में सफल रही तथा बड़ी संख्या में आरोप पत्र दायर किए गए.

हमलों के बाद अल्पसंख्यक विरोधी होने के जबर्दस्त आरोपों का सामना करने वाली भाजपा सरकार को और भी राहत देते हुए आयोग ने कहा कि इन आरोपों का कोई आधार नहीं है कि मौजूदा सरकार ‘अल्पसंख्यक ईसाई समुदाय के हितों पर जानबूझकर ध्यान नहीं दे रही है.’

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सोमशेखर ने संवाददाताओं को बताया कि आयोग ने अपने समक्ष दायर एक हजार याचिकाओं पर विचार किया और लगभग 800 गवाहों से जिरह की. उन्होंने कहा, ‘यह आयोग को सौंपा गया एक संवेदनशील और जटिल मामला है.’ मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने कहा कि सरकार रिपोर्ट का अध्ययन करेगी और आवश्यक कार्रवाई शुरू करेगी. {mospagebreak}

रिपोर्ट में हालांकि दक्षिण कन्नड में कुछ चर्च परिसरों में कानूनी जरूरतों का अनुपालन किए बगैर पुलिस के प्रवेश को ‘अविवेकपूर्ण असंगत और अनुभवहीन कदम’ करार दिया गया और कहा गया कि यह संविधान के तहत संरक्षित धार्मिक हितों तथा मानवाधिकारों का उल्लंघन है. इसमें कहा गया, ‘लेकिन इसमें राहत की बात यह है कि इस बारे में कोई सबूत नहीं है कि यह किसी अन्य बल से प्रेरित या प्रभावित था.’

आयोग ने यह भी उल्लेख किया कि दक्षिण कन्नड में कुछ घटनाओं में बच्चों एवं महिलाओं पर लाठीचार्ज जैसी पुलिस ज्यादती हुई. रिपोर्ट में पीड़ितों तथा चर्चों को पर्याप्त मुआवजा दिए जाने का पक्ष लिया गया और कहा गया कि अभी दी गई मुआवजा राशि कम है. आयोग ने कहा कि यह सच है कि धर्मांतरण में शामिल कुछ लोगों को विदेशों सहित कुछ स्रोतों से कोष मिल रहा है और वे इस पैसे का दुरुपयोग कमजोर तबके के समाज से जुड़े निर्दोष तथा असहाय लोगों का बड़े पैमाने पर धर्मांतरण कराने में कर रहे हैं.

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रिपोर्ट में राय दी गई कि हिन्दू धर्म के लिए अहितकर इस तरह की चीजों को रोकने के लिए उचित कानून बनाए जाने का कुछ हिन्दू संगठनों का प्रस्ताव ‘उचित’ है. इसमें बजरंग दल के संयोजक महेंद्र कुमार के खिलाफ कानून के अनुरूप कार्रवाई करने के ईसाई संगठनों के आग्रह का समर्थन किया गया जिन्होंने गिरजाघरों पर हमलों को सार्वजनिक रूप से उचित ठहराने की बात कही थी. {mospagebreak}

रिपोर्ट सौंपे जाने के वक्त काफी नाटक हुआ और येदियुरप्पा ने आयोग के अध्यक्ष से आग्रह किया कि सरकार द्वारा कोई रुख अपनाए जाने से पहले रिपोर्ट के अंश सार्वजनिक नहीं किए जाएं लेकिन सोमशेखर ने कहा ‘यह मेरी इच्छा और विशेषाधिकार है कि इसे लोगों के सामने लाया जाए.’ सरकार को गत फरवरी में सौंपी गई अपनी अंतरिम रिपोर्ट में आयोग ने हमलों के लिए बजरंग दल और कुछ अन्य सगठनों को जिम्मेदार बताया था लेकिन अंतिम रिपोर्ट में उन्हें दोषमुक्त करार दिया गया.

सोमशेखर ने कहा कि सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत लोगों को रिपोर्ट का सार जानने का अधिकार है. उन्होंने यह भी कहा कि ‘सिफारिशों के कुछ संवेदनशील अंश सार्वजनिक नहीं किए गए हैं.’ कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस समिति के अध्यक्ष जी. परमेश्वर ने रिपोर्ट की यह कहकर आलोचना की कि सिफारिशों से ‘इसके पीछे के तत्व’ सामने आ गए हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि आयोग सच तथा हमलों के लिए जिम्मेदार लोगों को सामने लाने में विफल रहा है. कांग्रेस प्रवक्ता वीएस उग्रप्पा ने गिरजाघरों पर हमलों में सीबीआई जांच की मांग की.

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