उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री और बसपा सुप्रीमो मायावती को राहत देते हुए उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को नोएडा के एक पार्क में दलित नेताओं की मूर्तियां लगाने संबंधी उत्तर प्रदेश सरकार की महत्वकांक्षी परियोजना को यह कहते हुए मंजूरी दे दी कि जमीन वनक्षेत्र के अंतर्गत नहीं आती.
कोर्ट के फैसले के मुताबिक यूपी सरकार जमीन के 25 फीसदी हिस्से पर निमार्ण करा सकती है, लेकिन जमीन का 75 फीसदी हिस्सा हरियाली के लिए छोड़ना होगा.
उच्चतम न्यायालय की पीठ ने कहा कि तीन सदस्यीय एक समिति इस बात को सुनिश्चित करेगी कि निर्माण कार्य दिए गए दिशानिर्देशों के अनुसार ही होगा. इस समिति के सदस्यों में पर्यावरण और वन्य मंत्रालय से एक सदस्य, शीर्ष न्यायालय की केंद्रीय सशक्त समिति से एक और नोएडा प्राधिकरण के अध्यक्ष शामिल होंगे.
मुख्य न्यायाधीश एसएच कपाड़िया और न्यायमूर्ति केएस राधाकृष्णन की पीठ ने कहा, ‘हमनें पाया कि यह वनक्षेत्र नहीं है.’ हालांकि पीठ ने कहा कि परियोजना के ओखला पक्षी विहार के करीब होने के कारण चिंताएं हैं. न्यायालय ने कहा कि परियोजना के लिए सभी शर्तों और दिशानिर्देशों को पूरा करना होगा.
इससे पहले यूपी सरकार ने कहा था कि वो केवल 65 फीसदी हिस्से को ही हरियाली के लिए छोड़ेगी. गौरतलब है कि अंबेडकर पार्क को लेकर पर्यावरण मंत्रालय ने आपत्ति जताई थी. मंत्रायल ने यूपी सरकार पर नियमों को ताक पर रखने का आरोप लगाया था.