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लोकपाल में पीएम पर फैसला करेगी संसदीय समिति

प्रधानमंत्री को प्रस्तावित लोकपाल के दायरे में लाने को लेकर अपने सदस्यों के बीच मतभेदों का सामना कर रही संसद की स्थायी समिति इस मुद्दे पर इसी सप्ताह होने वाली अपनी बैठक में निर्णय करेगी.

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प्रधानमंत्री को प्रस्तावित लोकपाल के दायरे में लाने को लेकर अपने सदस्यों के बीच मतभेदों का सामना कर रही संसद की स्थायी समिति इस मुद्दे पर इसी सप्ताह होने वाली अपनी बैठक में निर्णय करेगी.

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लोकपाल विधेयक पर गौर कर रही स्थायी समिति के अध्यक्ष अभिषेक सिंघवी ने बताया, ‘हमें अगली बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा करनी होगी. हम अभी रिपोर्ट के अनुमोदन की प्रक्रिया में हैं और हमें उम्मीद है कि यह काम इसी सप्ताह पूरा हो जायेगा.’ प्रधानमंत्री पद को लोकपाल के दायरे में लाने के बारे में समिति के सदस्यों के बीच आम सहमति अब तक नहीं बन पायी है. सदस्यों के बीच इस मुद्दे पर तीखे मतभेद हैं.

कांग्रेस सदस्यों ने सरकार के संस्करण का स्वागत करते हुए कहा है कि प्रधानमंत्री के पदमुक्त होने के सात वर्ष बाद ही लोकपाल को उनके खिलाफ जांच करने के अधिकार दिये जायें. कांग्रेस सदस्यों का मानना है कि प्रधानमंत्री को अगर उनके पद पर रहते हुए लोकपाल के दायरे में लाया गया तो इससे उन्हें कई हल्की शिकायतों का भी सामना करना पड़ेगा.

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भाजपा का मानना है कि भ्रष्टाचार रोकथाम कानून प्रधानमंत्री के खिलाफ लगने वाले भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच करने में पर्याप्त रूप से सक्षम नहीं है. गृह सुरक्षा और विदेश मामलों से संबंधित मुद्दों को बाहर रखने जैसे कुछ सुरक्षा मानक तय कर प्रधानमंत्री पद को लोकपाल के दायरे में लाया जाना चाहिये. बसपा, राजद और लोजपा प्रधानमंत्री को लोकपाल के दायरे में लाए जाने के किसी भी कदम के खिलाफ हैं.

सिंघवी ने कहा कि समिति ने काफी ठोस रिपोर्ट तैयार की है जिसमें लोकपाल को संवैधानिक दर्जा देने का पक्ष लिया गया है. संसद के मानसून सत्र में राहुल गांधी ने यह सुझाव रखा था. राहुल ने कहा था कि यह बदलाव लाने वाला एक विचार है. सिंघवी ने यह भी कहा कि समिति न्यायपालिका की स्वतंत्रता को बनाये रखने की पक्षधर है.अन्ना हज़ारे पक्ष उच्चतर न्यायपालिका को लोकपाल के दायरे में लाने पर जोर दे रहा है. उसका कहना है कि सरकार द्वारा प्रस्तावित न्यायिक जवाबदेही विधेयक न्यायाधीशों के भ्रष्टाचार से नहीं निपट सकता.

सिंघवी ने कहा कि मीडिया, कॉरपोरेट जगत, गैर-सरकारी संगठन, निचली नौकरशाही तथा नागरिकों की शिकायत जैसे 25 मुद्दों पर रिपोर्ट में ‘व्यापक रूप से ध्यान दिया गया है’. कार्मिक, विधि और न्याय मामलों की स्थायी समिति ने 14 नवंबर को अपना आंतरिक विचार-विमर्श खत्म कर दिया. समिति में लोकपाल को संवैधानिक दर्जा देने सहित अधिकतर मुद्दों पर ‘व्यापक आम सहमति बनी’.

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क्या समिति की रिपोर्ट से सभी संतुष्ट होंगे, सिंघवी ने कहा, ‘हम यहां किसी एक को या हर किसी को संतुष्ट करने के लिये नहीं हैं. हम हमारे विवेक तथा राष्ट्र को संतुष्ट करने के लिये हैं.’ इस समिति से सात दिसंबर तक अपनी रिपोर्ट देने को कहा गया है. संसदीय कार्य मंत्री पवन कुमार बंसल पहले ही संकेत दे चुके हैं कि सरकार की इस विधेयक को संसद के मौजूदा सत्र के अंतिम सप्ताह में पेश करने की योजना है. संसद सत्र 21 दिसंबर को संपन्न होगा.

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