2-जी स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाले की संयुक्त संसदीय समिति से जांच कराने की विपक्ष की मांग पर बने गतिरोध को तोड़ने की सरकार की कोशिशों के बीच प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने सोमवार को कहा कि ‘चीजें अब वैसी नहीं हैं जैसी होनी चाहिए.’
उन्होंने कहा कि सांसदों को यह नहीं भूलना चाहिये कि संसद अहम मुद्दों पर बातचीत करने का शीर्ष मंच है. सिंह ने सांसदों की पत्रिका ‘सेंट्रल हॉल’ का विमोचन करते हुए कहा, ‘संसद चर्चा करने, संवाद करने और विधान बनाने का शीर्ष मंच है. मुझे नहीं लगता कि कोई भी इस बात से इनकार करेगा कि चीजें वैसी नहीं हैं, जैसी होनी चाहिये.’
उन्होंने कहा कि सांसदों को यह नहीं भूलना चाहिये कि संसद देश के अहम मुद्दों पर बातचीत करने का एक मंच है. सिंह ने कहा कि लिहाजा, हम सभी की जिम्मेदारी है कि हम यह सुनिश्चित कराने के तरीके तलाशें कि हमारे देश के प्रमुख विधायी मंच के तौर पर और सामयिक राजनीति, समाज तथा अर्थव्यवस्था के अहम मुद्दों पर संवाद करने के मंच के तौर पर संसद की सर्वोच्चता बनी रहे. हमें यह सुनिश्चित कराना होगा कि संसद के इन कायो’ को भुलाया नहीं जाये.{mospagebreak}
सिंह की यह टिप्पणी महत्व रखती है क्योंकि वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने आठ फरवरी को विपक्ष को एक बैठक के लिये आमंत्रित किया है ताकि जेपीसी के मुद्दे पर गतिरोध खत्म किया जा सके और 21 फरवरी से शुरू होने जा रहे बजट सत्र के दौरान संसद में कामकाज निर्बाध सुनिश्चित किया जा सके. विपक्ष के जेपीसी की मांग पर अड़े रहने के कारण संसद का शीतकालीन सत्र पूरी तरह ठप हो गया था.
सिंह ने कहा कि उनका मानना है कि अन्य मुद्दे भी हैं जो जनता का ध्यान आकषिर्त करते हैं. इन मुद्दों में चुनाव सुधार, राजनीतिक दलों को मिलने वाले धन और सकारात्मक कदमों की प्रभावक्षमता या प्रभावहीनता के संबंध में जनता को आंदोलित कर देने वाले अन्य विषय शामिल हैं. प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि कॉन्स्टिट्यूशन क्लब की यह पत्रिका राष्ट्रीय राजनीति से संबंधित अहम मुद्दों पर चर्चा करने का अवसर प्रदान करेगी.