उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली उच्च न्यायालय के उस फैसले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है, जिसमें कांग्रेस के वरिष्ठ नेता नारायण दत्त तिवारी को पितृत्व मामले में डीएनए जांच कराने को कहा गया था.
बहरहाल न्यायमूर्ति आफताब आलम और न्यायमूर्ति आर. एम. लोढ़ा की खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि जांच के परिणामों को तब तक सार्वजनिक नहीं किया जाए, जब तक कि तिवारी के खिलाफ पितृत्व मुकदमे का निर्णय करने के लिए अदालत को उसकी जरूरत नहीं हो.
पीठ ने कहा कि रिपोर्ट को बंद लिफाफे में रखा जाएगा और 85 वर्षीय नेता को निर्देश दिया कि शुक्रवार तक वे यह बताएं कि वे डीएनए जांच की किस प्रक्रिया को अपनाना चाहते हैं.
किसी भी तरह की राहत देने से इनकार करते हुए उच्चतम न्यायालय ने कहा कि नेता की उम्र का खयाल करते हुए डीएनए जांच कराना आवश्यक है, ताकि अगर तिवारी को कुछ हो जाता है, तो उनका बेटा होने का दावा करने वाला युवक इस मुद्दे पर किसी निश्चित नतीजे तक पहुंच जाए.