उच्चतम न्यायालय के निर्देश का पालन करते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता नारायण दत्त तिवारी ने मंगलवार को अपने खून का नमूना दे दिया. 32 साल के शख्स रोहित शेखर की ओर से दायर पितृत्व संबंधी मुकदमे के सिलसिले में तिवारी ने अपने खून का नमूना दिया है. शेखर का दावा है कि तिवारी उसके सगे पिता हैं.
अधिकारियों ने बताया कि अविभाजित उत्तरप्रदेश और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रह चुके तिवारी ने जिला न्यायाधीश राज कृष्ण, शासकीय दून अस्पताल के मुख्य मेडिकल अधीक्षक बी सी पाठक, रोहित शेखर और उनकी मां उज्ज्वला शर्मा की मौजूदगी में खून का नमूना दिया.
उच्चतम न्यायालय ने 24 मई को 88 वर्षीय तिवारी की इस दलील को खारिज कर दिया था कि काफी उम्रदराज हो जाने की वजह से वह खून का नमूना नहीं दे सकते. दलील खारिज करते हुए पीठ ने कहा था, ‘इसका मतलब यह नहीं है कि उनके बदन में खून नहीं दौड़ रहा.’
न्यायाधीश न्यायमूर्ति दीपक वर्मा और न्यायमूर्ति एस जे मुखोपाध्याय की सदस्यता वाली पीठ ने कहा था, ‘यदि आप इतने पाक-साफ हैं तो जाइए और अपने खून का नमूना दीजिए. क्या अदालती फरमान की सिर्फ इसलिए नाफरमानी की जा सकती है कि शख्स का कद बहुत उंचा है?’ शेखर ने साल 2008 में दिल्ली उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर गुहार लगायी थी कि वह इस बाबत निर्देश दे ताकि आंध्र प्रदेश के राज्यपाल रह चुके तिवारी को उनका पिता घोषित किया जा सके.
तिवारी से कहा गया था कि वह देहरादून में 29 मई यानी मंगलवार को जिला न्यायाधीश और स्थानीय सिविल सर्जन के सामने मौजूद रहें. जिला न्यायाधीश और सिविल सर्जन के साथ एक पैथोलॉजिस्ट के भी होने की बात कही गयी थी.
पीठ ने स्पष्ट कर दिया था कि तिवारी अपने खून का नमूना देने से बच नहीं सकते. बहरहाल, पीठ ने तिवारी के वकील और पूर्व सॉलिसिटर जनरल गोपाल सुब्रमण्यम की इस दलील को मान लिया कि हैदराबाद में होने वाली डीएनए जांच की गोपनीयता बनाए रखने के लिए कुछ उपाय किए जाने चाहिए.
हैदराबाद स्थित सेंटर फॉर डीएनए फिंगरप्रिंटिंग एंड डायग्नॉसटिक्स लैबोरेट्री में जांच की जाएगी.
अदालत ने सोमवार को तिवारी की इस मांग को मानने से इंकार कर दिया था कि पितृत्व विवाद के मामले में अदालती कार्यवाही की गोपनीयता बरकरार रखी जाए.