आईपीएल विवाद का जिन्न शुक्रवार को एक बार फिर केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार और उनकी सांसद बेटी सुप्रिया सुले को परेशान करने के लिए सामने आया लेकिन इन दोनों ने आईपीएल नीलामी में किसी भी तरह शामिल होने से इनकार कर दिया.
पवार और सुप्रिया की उस कंपनी में हिस्सेदारी है जिसने आईपीएल की पुणे टीम के लिए विफल बोली लगाई थी. यह सुझाव देने पर कि छह हफ्ते पहले आईपीएल विवाद के शुरू होने के दौरान भी वे कंपनी में अपने हितों का खुलासा कर सकते थे, पवार और सुप्रिया ने कहा कि उस समय उन्हें ऐसा करने की जरूरत महसूस नहीं हुई.
पुणे स्थिति सिटी कारपोरेशन में अपनी, अपनी पत्नी और बेटी के नाम पर 16 प्रतिशत हिस्सेदारी की रिपोर्ट पर पवार ने कहा, ‘मैं पहले भी कह चुका हूं कि न तो मैं और ना ही मेरे परिवार का कोई सदस्य किसी आईपीएल टीम या बोली प्रकिया से जुड़ा है और मैं इस बयान को दोहराता हूं.’
बीसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष ने जोर दिया कि कंपनी के प्रबंध निदेशक अनिरुद्ध देशपांडे ने बोली अपनी व्यक्तिगत क्षमता के आधार पर लगाई थी. उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘हम किसी भी तरह से बोली प्रक्रिया में शामिल नहीं थे. यहां तक कि रिपोर्ट में मिस्टर देशपांडे ने अपनी स्थिति बिलकुल साफ कर दी है.’ पवार ने कहा, ‘सिटी कारपोरेशन के बोर्ड की बैठक में बोली में शामिल नहीं होने का फैसला बोर्ड ने सर्वसम्मति से लिया. लेकिन प्रबंध निदेशक बोली प्रक्रिया में शामिल होने को लेकर उत्सुक थे इसलिए उन्हें व्यक्तिगत तौर पर शामिल होने की स्वीकृति दी गई.’
उन्होंने कहा, ‘बोर्ड के प्रस्ताव में यह बिलकुल साफ किया गया कि व्यक्तिगत तौर पर मिस्टर देशपांडे के अलावा किसी अंशधारक की प्रत्यक्ष या परोक्ष हिस्सेदारी नहीं होगी.’ सुप्रिया ने भी अपने परिवार के बचाव में उतरते हुए कहा कि पुणे आईपीएल टीम के लिए देशपांडे की बोली से उनका कुछ लेना देना नहीं है. पुणे टीम की बोली में सहारा समूह ने बाजी मारी थी. {mospagebreak}
उन्होंने पूछा, ‘कंपनी में हमारी हिस्सेदारी काफी कम है और हम बोर्ड में शामिल नहीं हैं. अब अगर लोग (देशपांडे) बोर्ड की स्वीकृति के बिना आगे बढ़ते हैं तो फिर मैं शामिल कहां से हुई.’ सुप्रिया ने कहा, ‘बोर्ड ने बोली नहीं लगाने का प्रस्ताव पारित किया था अगर मिस्टर देशपांडे फिर भी आगे बढ़ना चाहते थे तो यह व्यक्तिगत फैसला था. हमारा इससे कोई लेना देना नहीं.’ उन्होंने कहा, ‘हमारे पास दस्तावेज हैं जो साबित करते हैं कि बोर्ड ने किसी बोली को स्वीकृति नहीं दी थी.’
यह पूछने पर कि पवार परिवार के किसी भी सदस्य ने पहले बोली के बारे में कुछ भी खुलासा क्यों नहीं किया, सुप्रिया ने कहा, ‘देखिये, हमारी बोली में दिलचस्पी नहीं थी और कंपनी भी इसके खिलाफ थी. यह साबित करने के लिए हमारे पास दस्तावेज हैं.’ सुप्रिया ने कहा कि अगर पवार चाहते तो वह 2008 में ही आईपीएल फ्रेंचाइजी खरीद सकते थे जब ट्वेंटी-20 लीग शुरू हुई थी.
उन्होंने कहा, ‘याद रखिये जब आईपीएल शुरू हुआ तब मिस्टर पवार बीसीसीआई अध्यक्ष थे और अगर वह चाहते तो पहले सत्र में ही आसानी से टीम हासिल कर सकते थे और वह भी कुछ लोग जितने पैसे दे रहे हैं उससे सस्ते में. बात सिर्फ इतनी थी कि हमारी इसमें दिलचस्पी नहीं थी.’ सुप्रिया ने इन आरोपों को भी खारिज कर दिया कि नीलामी प्रक्रिया में देशपांडे का इस्तेमाल प्राक्सी के तौर पर किया गया. पवार ने बोली प्रक्रिया में किसी तरह की हेराफेरी से भी इनकार करते हुए कहा कि अगर वह अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते तो कंपनी सहारा से बोली में नहीं हारती.
उन्होंने कहा, ‘अगर मैं इस संगठन में कुछ होता और अपने प्रभाव का इस्तेमाल करता तो क्या आपको लगता है कि यह बोली में हारती.’ पवार ने इसके साथ की दोहराया कि आईपीएल पाक साफ है और स्वामित्व पैटर्न तथा लीग के वित्तीय लेन देन में कोई गड़बड़ नहीं है. उन्होंने कहा, ‘इसमें कोई भ्रष्टाचार नहीं है. सरकारी एजेंसियां इसकी जांच कर रही हैं. जिस भी व्यक्ति ने कुछ गलत किया होगा उसे सजा दी जाएगी.’