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महंगाई रोकना मेरा काम नहीं: शरद पवार

बढ़ती महंगाई पर मीडिया के सवालों से बचते हुये केन्द्रीय कृषि मंत्री शरद पवार ने शुक्रवार को कहा कि उनका काम महंगाई रोकना नहीं बल्कि कृषि उत्पादन बढ़ाने के तरीके ढूंढना है.

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Sharad Pawar
Sharad Pawar

बढ़ती महंगाई पर मीडिया के सवालों से बचते हुये केन्द्रीय कृषि मंत्री शरद पवार ने शुक्रवार को कहा कि उनका काम महंगाई रोकना नहीं बल्कि कृषि उत्पादन बढ़ाने के तरीके ढूंढना है.

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पवार ने कहा, ‘महंगाई रोकना मेरा काम नहीं है. मेरा काम कृषि उत्पादन को कैसे और अधिक बढ़ाया जाये इसको देखना है और इसके लिये मैं देश भर के कृषि संस्थानों का दौरा कर वहां के वैज्ञानिकों से मिल रहा हूं और नई नई रिसर्च के बारे में बात कर रहा हूं. आम जनता तक यह अनाज कैसे पहुंचे इसकी जिम्मेदारी राज्य सरकारों की है.’

सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम) के तहत केन्द्र से मिले अनाज को गरीब जनता तक पहुंचाने में कुछ राज्यों की तारीफ करते हुये पवार ने कहा कि केन्द्र सरकार ने किसानों को उनकी फसल की उचित कीमत दिलायी लेकिन गरीबों को मिलने वाले अनाज की कीमत में बढ़ोत्तरी नहीं की. {mospagebreak}

भारतीय दलहन अनुसंधान संस्थान (आईआईपीआर) में शनिवार को होने वाले एक कार्यक्रम में भाग लेने आये कृषि मंत्री ने पत्रकारों से बातचीत में महंगाई पर पूछे गये सवालों को नजर अंदाज करते हुये कहा कि केन्द्र सरकार का काम कृषि का अच्छा उत्पादन करना, किसानों से उसे उचित मूल्य पर खरीदना और फिर उसे गोदामों तक पहुंचाना है. वहां से यह अनाज राज्य सरकारों को जाता है जो इसे आम जनता तक पहुंचाती हैं. अब राज्य सरकारें देखें कि यह अनाज आम जनता तक सही तरीके से पहुंच रहा है या नहीं.

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उन्होंने कहा कि कुछ राज्य सरकारें जैसे तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल आदि केन्द्र से मिले अनाज का सही तरीके से उपयोग कर रही हैं और उसे सार्वजनिक वितरण प्रणाली के जरिये आम जनता तक पहुंचा भी रही हैं लेकिन कुछ प्रदेश ऐसे भी है जहां यह आम जनता तक पहुंचने में परेशानी हो रही है. वे प्रदेश कौन से है इस बारे में उन्होंने खुलासा नहीं किया.

शरद पवार ने कहा कि जहां तक चीनी, गेंहू और चावल का सवाल है, हमारे देश के किसान इतना उत्पादन कर लेते हैं कि हमें इनको बाहर से नहीं मंगाना पड़ता है लेकिन अब जहां तक दालों का सवाल है तो हमारे देश में 14 मिलियन टन दालों का उत्पादन होता है जबकि देश में खपत 18 मिलियन टन की है अब जो यह चार मिलियन टन का अंतर है वह हमें दूसरे देशों से दाले मंगानी पड़ती हैं. {mospagebreak}

उन्होंने कहा, ‘जब दूसरे देश से दाल मंगायेंगे तो स्वभाविक है कि दालों के दामों में बढ़ोत्तरी होगी. इसी तरह खाद्य तेलों का भी उत्पादन कम है, इन्हें भी हमें विदेशों से मंगाना पड़ता है इस कारण इनके दाम भी बढ़ जाते हैं और यही बढ़े दाम आम जनता को चुकाने पड़ते हैं.’

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पवार ने कहा कि केन्द्र की यूपीए सरकार जब से सत्ता में आई है उसने किसानों को उसकी फसल से मिलने वाली कीमत को तो दोगुने से अधिक कर दिया लेकिन आम जनता को सार्वजनिक वितरण प्रणाली से मिलने वाले राशन के दामों में बढ़ोतरी नहीं की. इस पर सरकार आज से दस साल पहले 20 हजार करोड़ रुपये की सब्सिडी देती थी वह अब बढ़ कर 80 हजार करोड़ रुपये तक हो गयी है लेकिन इसके बावजूद आम जनता के हक पर कोई भी बढ़ोत्तरी नही की.

उन्होंने कहा कि सरकार का प्रयास है कि मेहनत करने वाले किसान को उसकी फसल अच्छी कीमत पर मिलें लेकिन इसका खामियाजा गरीब जनता को न उठाना पड़े. पवार ने कहा कि वह देश के सभी कृषि अनुसंधान केन्द्रों का दौरा कर रहे हैं ताकि देश में कृषि का उत्पादन बढ़ाया जा सके और इसी सिलसिले में वह कानपुर के दलहन संस्थान भी आये हैं और यहां के वैज्ञानिकों से बात कर उनकी समस्याओं और अनुसंधान के बारे में जानेंगे.

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