कृषि मंत्री शरद पवार ने उन्हें थप्पड़ मारे जाने की घटना का समर्थन करने वाले अन्ना के बयान पर कहा है कि यह गांधीवाद और अहिंसा की नई परिभाषा है. पवार का कहना है कि अगर आगे हमला होता है तो यह समझने की जरुरत होगी कि हमलावर को कहां से उकसाया जा रहा है.
कृषि मंत्री शरद पवार को एक युवक द्वारा थप्पड़ मारे जाने पर अन्ना ने तीन शब्द कहा था, ‘बस एक ही थप्पड़.’ हालांकि बाद में अन्ना अपनी टिप्पणी पर माफी मांगने के लिए भी तैयार थे. लेकिन, मंगलवार को एक बार फिर अन्ना ने आक्रामक रुख अपना लिया और कहा कि पवार भ्रष्ट लोगों को संरक्षण देते हैं. भ्रष्ट को बचाना उनकी पुरानी आदत है.
अन्ना हजारे ने अपने ब्लॉग पर ये आरोप लगाए. उन्होंने अपने ब्लॉग में लिखा कि पवार ने भ्रष्टाचार के अनेक मामलों में आंखें मूंद लीं. अगर जांच का आदेश दिया जाता है तो स्पष्ट हो जाएगा कि कौन जिम्मेदार रहा है. यह दिखाता है कि शरद पवार की भ्रष्ट लोगों को बचाने की पुरानी आदत है.’ हजारे ने कहा कि कई नेता 24 नवंबर की थप्पड़ मारे जाने की घटना पर बहुत नाराज हुए. उस दिन दिल्ली में एक समारोह में से निकलते वक्त पवार को एक सिख युवक ने थप्पड़ मार दिया था.
अन्ना ने लिखा, ‘इस बात पर चर्चा होना महत्वपूर्ण है कि आखिर युवक ने थप्पड़ क्यों मारा. आज भ्रष्टाचार दिन प्रतिदिन बढ़ रहा है. भ्रष्टाचार ने आम आदमी के लिए जीना दूभर कर दिया है. भ्रष्टाचार के कारण ही काफी महंगाई बढ़ी है.’
जब पवार पर हमले की घटना पर पत्रकारों ने अन्ना हजारे से प्रतिक्रिया मांगी थी तो उन्होंने पहली टिप्पणी यही दी थी कि, ‘बस एक थप्पड़.’ हजारे ने अपने ब्लॉग में माना कि उन्होंने घटना पर इस तरह से प्रतिक्रिया देते हुए हिंसा की लेकिन समाज की बेहतरी के लिए ऐसा किया. उन्होंने कहा, ‘मैं इस हिंसा को गलत नहीं मानता.’ पवार पर भ्रष्ट लोगों की कंपनी बनाने का आरोप लगाते हुए गांधीवादी समाज सुधारक ने कहा कि पवार ने भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना कर रहे अपनी पार्टी के नेता और रिश्तेदार पद्मसिंह पाटिल का बचाव किया.
सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने स्वीकार किया कि केंद्रीय मंत्री शरद पवार पर पिछले महीने दिल्ली में हमले के बाद उन्होंने, ‘सिर्फ एक थप्पड़’ टिप्पणी कर हिंसा की लेकिन इस हिंसा को वह गलत नहीं मानते.
अन्ना ने लिखा, ‘शरद पवार केंद्र में कृषि मंत्री हैं और राज्य में बिजली मंत्री उनकी ही पार्टी के हैं. आज 22 साल बाद भी किसानों के बिजली पंप कम वोल्टेज के कारण जल जाते हैं, फसलें खराब हो जाती हैं, ट्रांसफॉरमर जल जाते हैं, लेकिन तब भी राजनेताओं को गुस्सा नहीं आता है. यह दुर्भाग्यपूर्ण है.’
हजारे ने कहा, ‘किसानों ने पुणे के पास प्रदर्शन किया. उन पर गोलियां चलायी गयी. तीन किसानों की मौत हो गयी. लेकिन राजनेताओं को इस पर भी गुस्सा नहीं आया.’ उन्होंने दावा किया कि कृषि मंत्री के रूप में शरद पवार ने सड़े गेहूं का आयात किया जो खाने लायक नहीं था और उसे बड़े गड्ढों में दबा दिया गया. करोड़ों रुपये की सार्वजनिक राशि बर्बाद हो गयी लेकिन कोई राजनेता नाराज नहीं हुए.
हजारे ने कहा, ‘शरद पवारजी के संबंधी पद्मसिंह पाटिल शरद पवार की कैबिनेट में मंत्री थे. जब वह मंत्री थे तो भ्रष्टाचार में लिप्त थे. मैंने जांच की मांग की. जब जांच नहीं हुई तो मैंने आंदोलन शुरू किया. उसकी वजह से जांच का आदेश देना पड़ा. मंत्री दोषी साबित हुए और उन्हें कैबिनेट से हटाया गया. उन्होंने बदला लेने की खातिर मेरी हत्या के लिए किसी को 30 लाख रुपये की सुपारी दी.’
उन्होंने कहा, ‘एक थप्पड़ के कारण कई लोग नाराज हो गए. लेकिन जब समाज और देश के लिए अपना जीवन समर्पित कर देने वाले को निशाना बनाया जाता है तो कोई नाराज नहीं होता.’
उन्होंने कहा, ‘यह दुर्भाग्यपूर्ण है. मेरा एक अनुरोध है. अगर आपको मेरे खिलाफ गुस्सा है और आप मेरा पुतला जलाना चाहते हैं, आप ऐसा करना जारी रखिए क्योंकि आप अब तक ऐसा करते रहे हैं. मुझे अपमानित करने के लिए आप जो करना चाहते हैं, करें. लेकिन राष्ट्रीय संपत्ति को नुकसान नहीं पहुंचाएं क्योंकि यह हम सबकी है.’
हजारे ने आरोप लगाया कि पवार के समर्थकों ने उन्हें गालियां दी. हजारे ने लिखा, ‘मैंने रिकार्ड के लिए इसकी एक सीडी रखी है. उचित समय आने पर मैं इसे सार्वजनिक करूंगा.’ पद्मसिंह पाटिल भ्रष्ट थे. यह साबित हो गया. उन्होंने मेरी हत्या के लिए सुपारी दी. यह भी साबित हो गया. इसके बाद भी शरद पवार चुनावों में उनके कार्यक्रम में शामिल हुए और लोगों से उनके समर्थन में मतदान करने की अपील की.. इसके बाद भी इन राजनेताओं को गुस्सा नहीं आया.’
उन्होंने कहा, ‘राजनेता एक थप्पड़ से इतना नाराज हो गए कि कई बसें जला दी गयीं, राष्ट्रीय संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया, कई दुकानों को निशाना बनाया गया, कई निजी गाड़ियों को नुकसान पहुंचाया गया, लेकिन इससे किसी को नाराजगी नहीं हुई.’