निर्देशिका अनुषा रिजवी ने जब अपनी पहली फिल्म ‘पीपली लाइव’ के लिए चरित्र के बारे में सोचना शुरू किया तो उनके दिमाग में प्रेमचंद के 1936 में प्रकाशित उपन्यास ‘गोदान’ का नायक होरी आया.
रिजवी ने कहा कि अपनी फिल्म में उपन्यास के रूपक के रूप में प्रयोग के मोह से खुद को रोक नहीं सकी और किसान की असहाय स्थिति को दर्शाने के लिए होरी महतो जैसे चरित्र लेने का निर्णय लिया.
उन्होंने कहा कि फिल्म के चरित्र के बारे में सोचते वक्त होरी मेरे दिमाग में बना रहा, इसलिए मैंने इस चरित्र को रखने का निर्णय लिया. गोदान के वक्त से लेकर वर्तमान समय तक निरंतरता को दिखाना चाहती थी. हमने होरी महतो का प्रतीक के रूप में प्रयोग किया. इन वर्षों में किसानों की स्थिति में किसी भी प्रकार का पर्वितन नहीं आया है.
प्रेमचंद का उपन्यास आधुनिक भारतीय साहित्य का महानतम उपन्यास में से एक हैं, जिसमें होरी के जरिये गांव के गरीबों के उत्पीड़न के साथ सामाजिक आर्थिक कठिनाइयों को दर्शाया गया है. ‘गोदान’ शीषर्क से 1963 में हिन्दी फिल्म बन चुकी है, जिसमें राजकुमार, महमूद और शशिकला ने अभिनय किया था.
उन्होंने कहा कि मैने इस फिल्म की कहानी पर करीब साढ़े पांच साल तक काम किया. मुझे याद है जब आमिर ने एक साक्षात्कार में कहा कि वह अच्छी कहानी पर फिल्म बनाना चाहते हैं. मैंने उनको मेल किया और जब वह दिल्ली आये तो मैने अपनी कहानी उन्हें सुनायी, जो उन्हें बेहद पसंद आयी.
उन्होंने बताया कि आमिर के तारे जमीं पर के निर्देशन में व्यस्तता के चलते इस फिल्म के निर्माण में देरी हो गयी.