प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने सार्वजनिक जीवन में ईमानदारी की अपील करते हुए कहा कि जब नेता और नौकरशाह अपने कार्य और व्यवहार में ईमानदारी की राह से भटक जाते हैं तब इससे लोग आहत होते हैं.
उन्होंने प्रशिक्षु आईएएस अधिकारियों के एक समूह से कहा कि सार्वजनिक सेवाओं में भ्रष्टाचार की इजाजत नहीं दी जा सकती है. प्रधानमंत्री ने इन अधिकारियों से मुलाकात के दौरान यह बात कही. प्रधानमंत्री ने कहा, ‘यह समान रूप से जरूरी है कि सार्वजनिक जीवन में ईमानदारी के लिये आचरण पर जोर दिया जाना चाहिए. हम सावर्जनिक सेवाओं में भ्रष्टाचार की इजाजत नहीं दे सकते हैं.’
उन्होंने कहा कि लोगों को यह नहीं भूलना चाहिए कि भारत अभी भी एक ऐसा देश है जहां लाखों लोगों को भूखे रहना पड़ता है. सिंह ने कहा कि सार्वजनिक जीवन में नेता या सरकारी अधिकारी आचार संहिता से दूर हो रहे हैं जबकि यह व्यक्तिगत आचरण और व्यवहार में अधिकतम संभावित ईमानदारी पर जोर देता है. ऐसा करके आप अपने देश के पीड़ित लोगों को नुकसान पहुंचाते हैं. {mospagebreak}
प्रधानमंत्री ने नक्सली गतिविधियों, आतंकवाद और साम्प्रदायिक तनाव का जिक्र करते हुए कहा कि यह उनका कर्तव्य है कि वह इस बात को जाने कि ऐसे कौन से कारण हैं जो लोगों को इस राह पर ले जा रहे हैं. इन गुमराह लोगों को मुख्यधारा में लाया जाए.
सिंह ने कहा कि कानून व्यवस्था को अवश्य ही प्रभावी तरीके से लागू किया जाना चाहिए तथा समाज के वंचित तबके की समस्याओं का हल करते वक्त सामाजिक एवं आर्थिक असंतोष के मूल कारणों का अवश्य ही पता लगाना चाहिए. उन्होंने कहा, ‘मैंने इस बात का जिक्र किया है कि साम्प्रदायिक सौहार्द को कायम रखना बहुत जरूरी है.’