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सरकार ने नहीं सुनी तो बना लिया जुगाड़ का टाइटेनिक

मध्यप्रदेश के होशंगाबाद में भी जब लोगों को नदी पार करने का रास्ता न दिखा, तो जुगाड़ ढूंढ लिया. बनाया एक देसी टाइटेनिक और उसी से अब हर रोज सैकड़ों लोगों के साथ बड़ी-बड़ी गाड़ियां भी नदी पार कराई जाती हैं.

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मध्यप्रदेश के होशंगाबाद में भी जब लोगों को नदी पार करने का रास्ता न दिखा, तो जुगाड़ ढूंढ लिया. बनाया एक देसी टाइटेनिक और उसी से अब हर रोज सैकड़ों लोगों के साथ बड़ी-बड़ी गाड़ियां भी नदी पार कराई जाती हैं.

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टाइटेनिक का देसी अवतार है खालिस मेड इन इंडिया. 60 फुट लंबी औऱ 10 फुट चौड़ी ये नाव इतनी बड़ी है कि इस पर ट्रैक्टर और हार्वेस्टर जैसी बड़ी मशीनें भी आसानी से नदी के पार ले जाई जा सकती हैं. इतना ही नहीं ये नाव एक बार में 30 टन वजन ढो सकती है औऱ इस पर हजारों लोग रोजाना सफर करते हैं.

अब इसको बनाने की वजह भी जान लीजिए. दरअसल नर्मदा नदी के अबलीघाट पर सरकारी पुल आजतक नहीं बना. पुल ना होने से आसपास के 50 से भी ज्यादा गांवों के हजारों लोग रोजाना 70 किलोमीटर चलकर शहर जाते थे जिसके बाद गांववालों ने दस लाख रुपये चंदा जुटाया औऱ बना डाला ये देसी टाइटेनिक.

इलाके के नाव ठेकेदार लखनलाल ने बताया कि नदी में पहले छोटी छोटी नाव चलाई जाती थी. इस घाट से लगभग 50 गांव के लोग रोजाना सफर करते है. दर्जनों गाड़ियां नाव से नदी पार करती हैं. देसी टाइटेनिक के चर्चे भी कम नहीं हैं. दूरदराज से लोग इस टाइटेनिक पर सवारी का मजा लेने पहुंच रहे हैं.

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सरकार ने नहीं सुनी तो गांववालों ने अपनी मुश्किल खुद हल कर ली. लेकिन लाख टके का सवाल ये है कि बिना सुरक्षा इंतजामों के चल रही इस नाव के साथ अगर कोई हादसा हो गया तो कौन जिम्मेदार होगा?

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