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मुद्रास्फीति का ऊंचे बने रहना चिंता का विषय: मनमोहन

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने स्वीकार किया कि मुद्रास्फीति का लगातार लम्बे समय तक ऊंचा बने रहना अर्थव्यवस्था के लिए एक चिंता का विषय है. उन्होंने खाद्य सुरक्षा की स्थिति सुदृढ़ बनाने के लिए देश में कृषि उत्पादन को बढ़ाने पर जोर दिया है.

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मनमोहन सिंह
मनमोहन सिंह

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने स्वीकार किया कि मुद्रास्फीति का लगातार लम्बे समय तक ऊंचा बने रहना अर्थव्यवस्था के लिए एक चिंता का विषय है. उन्होंने खाद्य सुरक्षा की स्थिति सुदृढ़ बनाने के लिए देश में कृषि उत्पादन को बढ़ाने पर जोर दिया है.

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सिंह ने प्रशासनिक सेवा दिवस के उपलक्ष्य में एक समारोह का उद्घाटन करते हुए कहा, 'हमें अपनी खाद्य सुरक्षा मजबूत करने के लिए ठोस प्रयास करते होंगे. हमारी अर्थव्यवस्था पिछले सात वर्षों में अच्छी हालत में रही है. हमने आकषर्क वृद्धि दर हासिल की है. हम इसे हाल में उत्पन्न सबसे गंभीर वैश्विक वित्तीय संकट के दिनों में भी बरकरार रखने में सफल रहे.'

उन्होंने कहा, 'तथापि, पिछले डेढ़ वर्षों से सतत मुद्रास्फीति विशेषकर खाद्य क्षेत्र की मुद्रास्फीति चिंता का विषय बनी है. सिंह ने कहा कि सरकार की नीति विकास को बगैर प्रभावित किये मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने की रही है. उन्होंने जोर दिया कि, 'हमने इसे हासिल करने के लिए नाजुक और मुश्किल संतुलन कायम करने के प्रयास किए हैं.'

वर्ष 2009 में सूखे की स्थिति के बाद से खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति तेजी की राह पर रही है क्योंकि सूखे के कारण कृषि उत्पादन प्रभावित हुआ. मुद्रास्फीति के बारे में मनमोहन सिंह ने कहा कि हालांकि हाल के दिनों में स्थिति सुधरी है. खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति घटकर एकल अंक में आ गयी है पर इसका दीर्घावधिक समाधान कृषि क्षेत्र में उत्पादन और उत्पादकता को बढ़ाने में ही है.

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खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति ने नौ अप्रैल को समाप्त हुए सप्ताह में इससे पिछले तीन सप्ताहों की गिरावट के रुख को बदलते हुए बढ कर 8.74 प्रतिशत हो गयी. इससे पिछले सप्ताह यह 8.28 प्रतिशत थी. मासिक आधार पर मार्च के महीने में सकल खाद्य वस्तुओं के थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति 8.98 प्रतिशत थी जो भारतीय रिजर्व बैंक के आठ प्रतिशत के लक्ष्य से कहीं है.

प्रधानमंत्री ने कहा, 'तेजी से बढ़ती और अधिक सम्पन्न होती आबादी की जरूरतों को केवल विभिन्न कृषि उत्पादों के उत्पादन को बढ़ाकर ही पूरा किया जा सकता है.' उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र में उत्पादन वृद्धि की ऊंची दर हासिल करने में प्रशासनिक सेवाओं को एक बार फिर महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी.

उन्होंने कहा, 'मुझे उम्मीद है कि आप इस क्षेत्र की ओर अधिक केन्द्रित रूप से ध्यान देंगे और विशेष तौर पर जिला स्तर की कृषि योजनाओं को तैयार करने और उसे लागू करने पर ध्यान केन्द्रित करेंगे. इस वर्ष मानसून के सामान्य रहने की संभावना के साथ योजना आयोग को कृषि क्षेत्र में लक्षित किये गये चार प्रतिशत या उससे भी अधिक की वृद्धि दर हासिल करने की उम्मीद है. यह चालू वित्तवर्ष में कुल मिलाकर नौ प्रतिशत की आर्थिक वृद्धि दर को हासिल करने के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण है.

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प्रधानमंत्री ने इस मौके पर पंचायतों और नगरपालिकाओं के जरिये स्थानीय प्रशासन को सुदृढ़ बनाने के महत्व पर भी जोर दिया उन्होंने कहा, 'हमारा देश इतना विशाल है कि केवल केन्द्र से अथवा राज्यों की राजधानियों से ही प्रभावी ढंग से प्रशासन नहीं किया जा सकता है. हमें शक्ति का विकेन्द्रीकरण करना होगा, निर्णय लेने की प्रक्रिया को भी विकेन्द्रित करना होगा और विभिन्न विकास योजनाओं को अमल में लाने की प्रक्रिया को भी विकेन्द्रित करना होगा.'

योजनाओं को अमल में लाने और सेवाओं की बेहतर पहुंच के लिए निचले स्तर पर प्रशासन संचालन की सफलता बहुत जरूरी है. उन्होंने कहा कि हमारे नौकरशाहों को अपने देश में संचालन व्यवस्था के विकेन्द्रिकरण के लिए हरसंभव प्रयास करने चाहिये.

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