उच्चतम न्यायालय की खंडपीठ ने अयोध्या में मालिकाना हक से जुड़े विवाद पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले को टालने संबंधी याचिका की सुनवाई करने से इंकार किया. अदालत ने कहा कि मामले की सुनवाई दूसरी खंडपीठ करेगी.
इससे पहले अयोध्या में मालिकाना हक से जुड़े मुकदमे का फैसला आने के दो दिन पहले उच्चतम न्यायालय में एक याचिका दायर की गई है. याचिका में इस फैसले को टालने और मामले में मध्यस्थता की अनुमति दिए जाने की अपील की गई.
सेवानिवृत नौकरशाह रमेश चंद्र त्रिपाठी की ओर से दायर इस याचिका को न्यायमूर्ति अल्तमस कबीर और न्यायमूर्ति ए के पटनाइक की खंडपीठ के सामने जल्द सुनवाई के लिए रखा गया. वकील सुनील जैन ने पीठ के समक्ष इसका उल्लेख किया. उन्होंने कहा था कि इस मामले पर तत्काल विचार करने की जरूरत है, जिसके बाद पीठ ने इस पर दोपहर दो बजे सुनवाई का फैसला किया.
त्रिपाठी ने इसके पहले फैसला टालने के लिए इलाहाबाद उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था, लेकिन पांच दिन पहले उच्च न्यायालय की लखनउ खंडपीठ ने 60 साल पुराने राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मालिकाना हक के विवाद का समाधान तलाशने के लिए मध्यस्थता की अनुमति मांगने वाली याचिका को खारिज कर दिया. इसके बाद त्रिपाठी ने उच्चतम न्यायालय में दस्तक दी. इस मामले का फैसला 24 सितंबर को आने वाला है.
अदालत ने त्रिपाठी के अदालत के बाहर सुलह-समझौते के प्रयास को ‘शरारतपूर्ण प्रयास’ कहते हुए उन पर 50,000 रुपये का ‘भारी जुर्माना’ भी लगाया था. याचिका में न्यायालय से अपील की गई है कि वह मध्यस्थता की अनुमति के लिए थोड़ा समय दे. इसके अलावा इस याचिका में त्रिपाठी पर उच्च न्यायालय की ओर से लगाए गए जुर्माने को भी चुनौती दी गई है.