पेट्रोल की कीमत बढ़ाए जाने के विरोध में समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने इलाहाबाद के निकट ट्रेन का आवाजाही ठप करने का प्रयास किया.
सपा कार्यकताओं ने रविवार सुबह बड़ी संख्या में इकट्ठा होकर गंगा-गोमती एक्सप्रेस को रोकने का प्रयास किया. इन लोगों ने पेट्रोल की कीमत बढ़ाए जाने के खिलाफ जमकर नारेबाजी की.
बीती रात बारह बजे तक ज्यादातर लोग सो रहे थे, उसी वक्त से सरकार ने लोगों की जेब में डाका डालने का इंतजाम कर दिया. पेट्रोल की कीमत में 5 रुपए प्रति लीटर का इजाफा हो चुका है.
लोग यह जानकर हैरान हैं कि पिछले 9 महीने में नौवीं बार कीमतों में बढ़ोतरी हुई है और इतने ही दिनों में पेट्रोल की प्रति लीटर कीमत में 15 रुपए से भी ज्यादा का उछाल आ चुका है.
ऐसा लगता है कि जिस पेट्रोल का इस्तेमाल कभी-कभार आग लगाने के लिए किया जाता है, अब खुद उसी पेट्रोल में लग गई है आग. हर शहर-कस्बे में बिकने वाला पेट्रोल बीती रात से कम से कम 5 रुपए प्रति लीटर महंगा हो चुका है. अब जनता की जेब पेट्रोल के नाम पर और भी ढीली होने वाली है.
अभी 4 महीने भी नहीं बीते हैं जब पिछली बार इसी साल 16 जनवरी को ही पेट्रोल की कीमतों में करीब ढाई रुपए का इजाफा किया गया था. अप्रैल 2010 से लेकर अबतक 10 बार पेट्रोल की कीमत बढ़ चुकी है.
5 राज्यों में चुनावी नतीजे सामने आते ही सरकार ने जनता को हलाल करने का इंतजाम कर दिया. देश के अलग-अलग शहरों में 5 रुपए से लेकर 5 रुपए 29 पैसे तक पेट्रोल के दाम बढ़े. 9 महीने में एक लीटर पेट्रोल की कीमत में 15 रुपए से भी ज्यादा का इजाफा हो चुका है. मतलब साफ है कि सरकार तो अपनी मनमानी पर आमादा है. पेट्रोल के दाम इस तरह बेतहाशा बढ़ने पर सबसे ज्यादा परेशान है आम जनता, जो जमकर सरकार को कोस रही है.
शनिवार-रविवार रात से पेट्रोल की कीमत में बढ़ोत्तरी के बाद दिल्ली के लोग, जो अब तक 58 रुपए 37 पैसे प्रति लीटर के हिसाब से गाड़ी में पेट्रोल भराते थे, उन्हें अब 63 रुपए 37 पैसे देने पड़ेंगे. मुंबई के लोगों को प्रति लीटर पेट्रोल के लिए अब 63 रुपए 8 पैसे की जगह 68 रुपए 32 पैसे खर्चने होंगे.
कोलकाता में 62 रुपए 50 पैसे प्रति लीटर की जगह 68 रुपए 11 पैसे चुकाने होंगे. चेन्नई के लोग जो पेट्रोल के लिए 61 रुपए 93 पैसे चुकाते रहे हैं, उन्हें अब 67 रुपए 22 पैसे चुकाने होंगे. सरकार कहती है कीमत बढ़ाना उसकी मजबूरी है, लेकिन 9 महीने में पेट्रोल की कीमत में 15 रुपए से भी ज्यादा की बढ़ोतरी किए जाने के बाद जनता की जिंदगी में आई मजबूरी का हिसाब आखिर कौन देगा.