सीबीआई ने स्वान टेलीकाम के प्रवर्तक शाहिद उस्मान बलवा की जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा कि तत्कालीन दूरसंचार मंत्री ए राजा तथा अन्य ने पहले आओ पहले पाओ नीति में इस तरह हेराफेरी की कि शारीरिक रूप से अधिक चुस्त दुरूस्त व्यक्तियों को 2जी लाइसेंस मिल गए.
सीबीआई के वकील यूयू ललित ने विशेष जज ओपी सैनी की अदालत में कहा, 'लाइसेंस देने में आवेदकों की शारीरिक तंदरूस्ती निर्णायक कारक बन गई थी.' बलवा को आठ फरवरी को मुंबई में गिरफ्तार किया गया और तभी से वह जेल में है.
बलवा ने जमानत याचिका दायर करते हुए कहा कि उन्होंने कोई अपराध नहीं किया है और सीबीआई उन्हें अनुचित ढंग से निशाना बना रही है. ललित ने कहा कि स्वान टेलीकाम सहित अन्य कंपनियों को आशय पत्र (एलओआई) जारी करने के लिए संचार भवन में दस जनवरी 2008 को चार काउंटर लगाने के पीछे विचार पहले आओ पहले पाओ नीति को बेअसर करना ही था.
उन्होंने कहा कि वरिष्ठता का आकलन आवेदन की तिथि से नहीं बल्कि फुर्ती से हुआ. यह इस बात पर निर्भर कर रहा था कि आप संचार भवन में बने काउंटरों तक पहले पहुंचने के लिए कितने फुर्तीले, ऊर्जावान तथा तंदुरूस्त हैं.
उन्होंने कहा, ‘यह विशेष उपाय स्वान और युनिटेक को फायदा पहुंचाने के लिये अपनाया गया था. यदि यह काम वरिष्ठता के आधार पर होता तो दिल्ली सर्किल किसी को भी जा सकता था. लोग आकषर्क क्षेत्र के लिये ताक में थे. कर्नाटक, आंध्र प्रदेश जैसे क्षेत्रों के लिये कोई रुचित नहीं दिखा रहा था. यदि मुझे सबसे बेहतर चाहिये तो मुझे काउंटर पर सबसे पहले पहुंचना होगा.’