'रामलीला कांड' के बाद पहली बार दिल्ली लौटे बाबा रामदेव ने भ्रष्टाचार के मुद्दे पर फिर से केंद्र सरकार पर जमकर हल्ला बोला है. रामदेव ने कहा कि सरकार भ्रष्टाचारी तो पहले से थी, अब वह अत्याचारी भी है.
बाबा रामदेव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि 4 जून को बर्बरता के साथ आंदोलन को दबाया गया, पर सच को कभी दबाया नहीं जा सकता है. उन्होंने कहा कि रामलीला मैदान में हुई बर्बरता को सारी दुनिया ने देखा.
रामदेव ने कहा कि देश में कालाधन मिटाने की बजाए इसके खिलाफ आवाज उठाने वाले लोगों को ही दबाया जाता है.
अपने अनशन और मौन व्रत के बाद राष्ट्रीय राजधानी लौटे बाबा रामदेव ने केन्द्र सरकार पर तीखे प्रहार करते हुए कहा कि इस सरकार में भ्रष्टाचार से लड़ने की इच्छाशक्ति नहीं है और जो भी भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाता है, उसे सरकार कुचल देती है.
योगगुरु ने सरकार से सवाल किया कि अगर उनके मुद्दे गलत थे तो उनसे बातचीत करने चार मंत्रियों को हवाई अड्डे क्यों भेजा गया. उन्होंने यह गंभीर आरोप लगाया कि रामलीला मैदान पर पुलिस कार्रवाई के दौरान उनकी महिला समर्थकों से बलात्कार की कोशिश की गयी.
अपने और अपने समर्थकों पर पुलिस कार्रवाई के 21 दिन बाद राजधानी लौटे योगगुरु ने अपने तेवर बरकरार रखते हुए सरकार पर कई नये आरोप लगाये, लेकिन अपनी आगे की रणनीति का साफ तौर पर खुलासा नहीं किया.
उन्होंने सिर्फ यही कहा कि वह एक जुलाई से हरिद्वार में नि:शुल्क आवासीय शिविर लगायेंगे और चार अगस्त ने ग्राम स्वावलंबन योजना शुरू करेंगे, जिसके तहत 624 गांवों को आदर्श ग्राम बनाया जायेगा.
रामदेव ने उनके राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ या भाजपा का मुखौटा होने के आरोपों का खंडन कर दिया, लेकिन लोकपाल के मुद्दे पर गांधीवादी अन्ना हज़ारे द्वारा 16 अगस्त से प्रस्तावित अनशन से जुड़ने के बारे में पूछे गये सवालों के सीधे जवाब टाल गये.
उन्होंने मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल के साथ फोन पर चार जून को हुई उनकी बातचीत के विवरण सार्वजनिक करने की भी मांग की.
रामदेव ने कहा, ‘‘यह सरकार पहले भ्रष्टाचारी थी लेकिन अब यह अत्याचारी हो गयी है. हमने जनहित में मुद्दे उठाये थे जिन्हें दरकिनार कर दिया गया. इस सरकार में भ्रष्टाचार से लड़ने की इच्छाशक्ति नहीं है. जो भी भ्रष्टाचार-कालेधन के खिलाफ आवाज उठाता है, उसे सरकार कुचल देती है और षड्यंत्र करती है.’’
रामदेव ने पुलिस कार्रवाई में गंभीर रूप से घायल हुई अपनी एक समर्थक राजबाला से जीबी पंत अस्पताल में मुलाकात करने के बाद संवाददाता सम्मेलन किया. उन्होंने एक दस्तावेज दिखाते हुए दावा किया कि देश में अब तक जनता ने कुल 200 लाख करोड़ का कर दिया है. सरकार को बताना चाहिये कि इस 200 लाख करोड़ रुपये का खर्च कहां-कहां हुआ.
दिल्ली लौटने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘‘दिल्ली आने के लिये मैंने आज का दिन इसलिये चुना क्योंकि इन्हीं दिनों आपातकाल लागू हुआ था. अब मैं देश के हालात को अघोषित आपातकाल मानता हूं. चार जून की रात की घटना यह इशारा करती है कि कहीं सरकार और सरकार द्वारा पोषित लोगों का ही कालाधन विदेशों में जमा तो नहीं है. शायद यही कारण है कि हमारे आंदोलन को चार जून को कुचल दिया गया.’’
रामदेव ने कहा, ‘‘यदि कालेधन को वापस लाने का मुद्दा गलत था, यदि हमारा आंदोलन अलोकतांत्रिक था और यदि मैं साम्प्रदायिक हूं तो हमसे संवाद क्यों किया गया. प्रधानमंत्री ने मुझे पत्र क्यों लिखा.’’
योगगुरु ने कहा कि उनके और उनके समर्थकों पर हुई कार्रवाई लोकतंत्र की हत्या थी. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि वहां अनशन के लिये आयीं उनकी महिला समर्थकों के साथ पुलिस कार्रवाई के दौरान शराब के नशे में धुत लोगों ने बदतमीजी की, उन्हें पकड़ा और उनसे बलात्कार की कोशिश की गयीं.
रामदेव ने केंद्रीय मंत्री सिब्बल को वस्तुत: चुनौती देते हुए कहा, ‘‘सरकार मेरे फोन टैप कर रही थी. मैं चाहता हूं कि चार जून को मेरी सिब्बल से हुई बातचीत का टेप सार्वजनिक किये जायें. उस टेप में सिब्बल ने कालेधन को वैधानिक तरीके से राष्ट्रीय संपत्ति घोषित करने सहित अन्य आश्वसान दिये थे.’’
बहरहाल, इस मुद्दे पर एक अन्य कार्यक्रम के इतर जब सिब्बल से प्रतिक्रिया मांगी गयी तो मंत्री ने संवाददाताओं के सवालों का कोई जवाब नहीं दिया.
रामदेव ने रामलीला मैदान से ‘भाग निकलने’ के आरोपों के बारे में कहा कि चार जून की रात को वह गिरफ्तारी देना चाहते थे लेकिन पुलिस का इरादा उन्हें गिरफ्तार करने के बजाय रास्ते से हटाने का था.
योगगुरु ने कहा, ‘‘मुझे गीदड़ की मौत नहीं मरना था. मुझे केंद्र की कठपुतली बनी पुलिस के हाथों ने नहीं मरना था, इसलिये मैं वहां से निकल गया. पुलिस ने वहां बंद पंडाल में आंसू गैस के गोले दागे और बर्बर कार्रवाई की.’’
उन्होंने कांग्रेस का नाम लिये बिना कहा, ‘‘क्या देश में एक ही पार्टी के लोगों को रहने का हक है. क्या दिल्ली में सिर्फ एक ही पार्टी के लोग आ सकते हैं...यह कैसा लोकतंत्र है.’’ उन्होंने रामलीला मैदान पर आतंकवादी हमला हो सकने की आशंका संबंधी केंद्र के दावों को भी खारिज कर दिया.
नौ दिन बाद अनशन तोड़ने से जुड़े सवालों पर उन्होंने कहा, ‘‘मुझसे मुरारी बापू और श्री श्री रविशंकर सहित अखाड़ों के संतों ने अनुरोध किया था, इसलिये मैंने अनशन तोड़ा. मैंने अनशन इसलिये नहीं तोड़ा कि प्राण संकट में थे.’’
योगगुरु ने उन पर आरएसएस या भाजपा का मुखौटा होने के आरोपों को खारिज करते हुए कहा, ‘‘मैं किसी पार्टी या संगठन का मुखौटा नहीं हूं. मैं देश के 120 करोड़ लोगों को मुखौटा हूं.’’ लोकपाल के मुद्दे पर हज़ारे के प्रस्तावित अनशन के बारे में रामदेव ने कहा, ‘‘जो भी भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठायेगा, हम उसके साथ खड़े होंगे. फिर चाहे वह किसी भी पार्टी या संगठन का हो.’’
उन्होंने कहा कि सरकार के मसौदे में लोकपाल के दायरे में ट्रस्टों और गैर-सरकारी संगठनों के साथ ही प्रधानमंत्री और सांसदों को भी शामिल करने के प्रावधान किये जाते तो उन्हें खुशी होती.
रामदेव ने उनके खिलाफ लगातार बयान देने वाले कांग्रेस महासचिव दिग्जिवजय सिंह का नाम लिये बिना कहा, ‘‘मुझे कुछ लोगों ने चोर, ठग और महाठग कहा, लेकिन मैं चुप रहा. मैं ऐसे गैर-जिम्मेदार लोगों की अशालीन टिप्पणियों पर प्रतिक्रिया देकर अपनी जुबान गंदी नहीं करना चाहता.’’
अपने करीबी आचार्य बालकृष्ण का पासपोर्ट फर्जी होने के आरोपों के बारे में योगगुरु ने कहा कि यह पासपोर्ट 1998 में बना और यह गैर-कानूनी नहीं है. कहा जा रहा है कि स्थानीय जांच अधिकारी ने पासपोर्ट बनने के दौरान गलत रिपोर्ट दी थी. ऐसा है तो यह प्रशासन की गलती है. इसमें बालकृष्ण की क्या गलती है. उन्होंने कहा कि यह सरकार की भ्रष्टाचार और कालेधन के मुद्दों से ध्यान हटाने की कोशिश है.
. बहरहाल, बाबा रामदेव ने केंद्र सरकार पर करारा प्रहार करते हुए फिर से अपने गर्म तेवर का परिचय दे दिया है.