योजना आयोग की नजर में 32 रुपये प्रतिदिन से अधिक कमाने वाला गरीब व्यक्ति की श्रेणी में नहीं आता हो, लेकिन मुम्बई में पारसी लोगों के छोटे पर संभ्रांत वर्ग में 90 हजार रुपये प्रति माह तक कमाने वाला व्यक्ति गरीब माना जाता है.
बम्बई पारसी पंचायत (बीपीपी) ने सोमवार को बम्बई उच्च न्यायालय को सूचित किया कि उसने गरीब पारसी की परिभाषा में परिवर्तन किया है और अब जो व्यक्ति 90 हजार रुपये प्रति माह तक कमाता है, वह समुदाय के लिए सब्सिडी पर आधारित आवासीय योजना के तहत आवास प्राप्त करने की पात्रता नहीं रखता है.
शहर में पारसी समुदाय के 45 हजार लोगों के लिए पांच हजार मकान किराये पर दिये गए हैं. पूर्व में 50 हजार रुपये प्रति माह कमाने वाले पारसी समुदाय के लोगों को गरीब माना जाता था लेकिन बीपीपी ने अब इसे बढ़ाकर 90 हजार रुपया प्रति माह कर दिया जब उसने उपनगरीय अंधेरी में समुदाय के लोगों को सब्सिडी के आधार पर कुछ फ्लैट बेचने का निर्णय किया.
अदालत ठाणे के दहानु निवासी 65 वर्षीय रोहिंग्टन तारापुरवाला की याचिका पर सुनवाई कर रही थी. तारापुरवाला ने फ्लैट आवंटन के संबंध में उनके दावे को रद्द करने के बीपीपी के निर्णय को चुनौती दी थी. उन्होंने कहा था कि कुछ लोगों की मासिक आय 50 हजार रुपये से अधिक होने के बावजूद उन्हें फ्लैट आवंटित किये गए.