दिल्ली में बिजली की दरें बढ़ाने के पीछे शीला सरकार ने बिजली कंपनियों के घाटे को वजह बताया है, जबकि जिस महकमे ने दरें बढ़ाई हैं, उसी ने कंपनियों को फायदे में बताया है.
बिजली कंपनियों का फायदा कितना है, यह जानकार कोई भी हैरत में पड़ जाएगा. जिसे बिजली की दरों में 32 फीसदी बढ़ोतरी के बाद भी करंट नहीं लगा, तो अब लगेगा, क्योंकि लोगों की जेब पर डाला जा रहा है डाका. दिल्ली में बिजली के नाम पर लूट मची है और आरटीआई से निकाले गए आंकड़े इसकी गवाही दे रहे हैं.
जिस डीईआरसी का काम कंपनियों का लेखा-जोखा रखना है, उसने आरटीआई के माध्यम से साफ माना है कि 2010-11 में बीआरपीएल को 388 करोड़, बीवाईपीएल को 155 करोड़ रुपये और एनडीपीएल को 258 करोड़ का फायदा हुआ, जबकि इसके बाद के साल, यानी 2011-12 का ऑडिट ही नहीं हुआ है.
बावजूद इसके कंपनियों ने घाटे का रोना रोया और लोगों की जेब पर पड़ गया डाका. आरटीआई में जो चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं, उसके मुताबिक बिजली के निजीकरण के बाद से कंपनियां सिर्फ एक साल घाटा दिखा सकीं. वो साल था 2007-08 का, जब बीएसईएस की दोनों कंपनियों ने 504 करोड़ का घाटा दिखाया. 2008-09 में बीआरपीएल ने 108 करोड़ का घाटा दिखाया.
इसके बाद कंपनियों की इतनी कमाई हुई कि दो साल पहले डीईआरसी ने बिजली की दरों में 20 फीसदी कटौती करने का फैसला किया था. सूत्र बताते हैं कि यह मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के दखल से मुमकिन नहीं हो पाया.
बिजली के निजीकरण के वक्त शीला सरकार ने जो सब्जबाग दिखाए थे, उसका खौफनाक रूप 1 जुलाई से लोगों के सामने होगा, जब बढ़ी हुई दरें लागू हो जाएंगी और बिजली के मीटर की रफ्तार किसी के रोके नहीं रुकेगी.