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मध्यप्रदेश में बिजली की मांग 8,521 मेगावाट पहुंची

मध्य प्रदेश में रबी मौसम में सिंचाई के लिये कृषि पंपों का भार बढने के साथ ही बिजली की घरेलू व औद्योगिक मांग अधिक होने से प्रदेश की अधिकतम बिजली की मांग 8,521 मेगावाट तक पहुंच गई है.

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मध्य प्रदेश में रबी मौसम में सिंचाई के लिये कृषि पंपों का भार बढने के साथ ही बिजली की घरेलू व औद्योगिक मांग अधिक होने से प्रदेश की अधिकतम बिजली की मांग 8,521 मेगावाट तक पहुंच गई है.

उर्जा विभाग के सूत्रों के अनुसार इस मांग की पूर्ति के लिये उर्जा विभाग द्वारा हर संभव प्रयास किये जा रहे हैं. बिजली की मांग के उलट इसकी उपलब्धता 7,076 मेगावाट है. मांग तथा उपलब्धता के अंतर को कम करने के लिये बैंकिंग तथा विद्युत का खरीद कर प्रदाय किया जा रहा है. उल्लेखनीय है कि जब प्रणाली की फ्रिक्वेंसी अधिक होती है तो विद्युत का आहरण कर लिया जाता है जिससे प्रदेश के उपभोक्ता ज्यादा से ज्यादा बिजली प्राप्त कर सकें. प्रदेश की दो बंद ताप विद्युत इकाइयां आज से क्रियाशील हो गई हैं.

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सूत्रों के अनुसार मध्यप्रदेश पावर जनरेटिंग कंपनी द्वारा ताप विद्युतगृहों के रख-रखाव का कार्य तेजी से किया जा रहा है. इसके फलस्वरुप अमरकंटक ताप विद्युतगृह की इकाई क्रमांक-4 जो गत एक नवंबर से बंद थी उसे आज चालू कर दिया गया. साथ ही सतपुडा की 210 मेगावाट की इकाई क्रमांक-9 जो गत 11 नवंबर से बंद थी उसे भी आज चालू कर दिया गया.

सूत्रों ने बताया कि इसी प्रकार सतपुडा ताप विद्युतगृह की 210 मेगावाट की इकाई क्रमांक-8 गत 9 सितम्बर से बंद थी. इसे भी आगामी 16 नवंबर को क्रियाशील कर दिया जायेगा. उन्होंने कहा कि सभी ताप विद्युतगृहों का संचालन अत्यधिक सावधानीपूर्वक किया जा रहा है, जिससे तकनीकी खराबी के चलते कम से कम विद्युत इकाइयां बंद हों. इस बार ताप विद्युतगृहों में कम से कम खराबी हो इसके लिये एनटीपीसी से भी सहयोग लिया जा रहा है. उन्होंने बताया कि केन्द्रीय क्षेत्र की कवास गैस आधारित विद्युतगृह से बिजली भी क्रय नहीं की जा रही है क्योंकि इसकी लागत अत्यधिक है. उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री द्वारा इसकी लागत कम करने के लिये केन्द्र सरकार से सस्ती गैस उपलब्ध कराने हेतु बार-बार अनुरोध भी किया जा रहा है.

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