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सरकार के लिए सबक सीखने का वक्‍त: बीजेपी

दिल्ली पुलिस की ओर से गांधीवादी कार्यकर्ता अन्ना हजारे को रामलीला मैदान में अनशन की अनुमति मिल जाने के बाद भारतीय जनता पार्टी ने कहा है कि अब जाकर सरकार का दिमाग ठिकाने पर आया है और उसे पूरे प्रकरण से सबक लेना चाहिये.

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नितिन गडकरी
नितिन गडकरी

दिल्ली पुलिस की ओर से गांधीवादी कार्यकर्ता अन्ना हजारे को रामलीला मैदान में अनशन की अनुमति मिल जाने के बाद भारतीय जनता पार्टी ने कहा है कि अब जाकर सरकार का दिमाग ठिकाने पर आया है और उसे पूरे प्रकरण से सबक लेना चाहिये.

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भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी ने शहर के देवी अहिल्याबाई हवाई अड्डे पर संवाददाताओं से कहा, ‘‘हमें ऐसा लगता है कि अब सरकार का दिमाग ठिकाने पर आ गया है और आखिरकार अन्ना को अनशन की अनुमति दे दी गयी है. हमारी शुभेच्छाएं अन्ना के साथ हैं.’’

गडकरी ने आरोप लगाया कि मजबूत लोकपाल विधेयक की मांग कर रहे अन्ना के आंदोलन को सरकार ने गैर संवैधानिक तरीके से दबाने की कोशिश की और आपातकाल जैसे दमन की शुरुआत की. नतीजतन भ्रष्टाचार के मुद्दे पर संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार के खिलाफ जनता की प्रतिक्रिया और कड़ाई के साथ सामने आयी.

भाजपा अध्यक्ष ने जोर देकर कहा, ‘‘सरकार को इस पूरे घटनाक्रम से सबक लेना चाहिये.’’ टूजी स्पेक्ट्रम आवंटन और कॉमनवेल्थ खेलों के करोड़ों के कथित घोटालों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि बढ़ते भ्रष्टाचार से जनता त्रस्त है और लोगों में भारी असंतोष है. इस वजह से अन्ना को पूरे देश से जोरदार समर्थन मिला.

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गडकरी ने कहा, ‘‘लोकतंत्र में भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन करने का सभी नागरिकों को संवैधानिक अधिकार है लेकिन यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि सरकार ने अन्ना के आंदोलन को दबाने की कोशिश की.’’

नितिन गडकरी ने हवाई अड्डे पर कहा, ‘भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ना केवल राजनीतिक दलों का कॉपीराइट नहीं है. इस संघर्ष में राजनीतिक और गैर राजनीतिक दलों को मिलकर भाग लेना चाहिये.’

क्या प्रमुख विपक्षी दल के रूप में भाजपा समकालीन मुद्दों को जोरदार तरीके से उठाने की पहल में नाकाम रही, इस सवाल पर उन्होंने कहा ‘ऐसा बिल्कुल नहीं है. विदेशी बैंकों में जमा काले धन, 2 जी स्पेक्ट्रम आवंटन और कॉमनवेल्थ खेलों के घोटालों पर सबसे पहले भाजपा ने संघर्ष शुरू किया. हमने महीने भर तक संसद नहीं चलने दी और सदन के भीतर व बाहर सरकार की असलियत से परदा उठाया.’

भाजपा अध्यक्ष ने कहा, ‘हमारे इस रुख के बाद गैर राजनीतिक दलों ने ये विषय उठाये. हमें ऐसा नहीं लगता कि देश के राजनीतिक परिदृश्य में हमारी जगह कम या ज्यादा हुई है.’ उन्होंने कहा कि रामदेव व अन्ना की अगुवाई वाले गैर राजनीतिक आंदोलनों और राजनीतिक दलों के आंदोलनों की तुलना उचित नहीं है, क्योंकि दोनों आंदोलनों की तासीर ही अलग-अलग है.

गडकरी ने कहा, ‘अहम बात यह है कि देश में बढ़ते भ्रष्टाचार के कारण कांग्रेस और उसकी अगुवाई वाली सरकार के खिलाफ असंतोष पैदा हुआ है और हर जगह से कड़ी प्रतिक्रिया सामने आयी है. यह देश के हित में है.’

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