वर्ष 2006 में हुए तुलसीराम प्रजापति मुठभेड़ मामले में गुजरात सीआईडी ने शुक्रवार को बनासकांठा जिले की एक अदालत में सात पुलिसकर्मियों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया. इन सात पुलिसकर्मियों में एक आईपीएस अधिकारी विपुल अग्रवाल भी हैं. जब मुठभेड़ हुई थी तब अग्रवाल बनासकांठा के पुलिस अधीक्षक थे.
प्रजापति वर्ष 2005 में हुए सोहराबुद्दीन फर्जी मुठभेड़ मामले और उसकी पत्नी कौसर बी की कथित हत्या के मामले का मुख्य गवाह था. वह दिसंबर 2006 में बनासकांठा के छपरी गांव में कथित तौर पर एक मुठभेड़ में मारा गया था.
एक हजार से अधिक पृष्ठ के आरोपपत्र में 137 गवाहों के बयान हैं. इस साल मई में एजेंसी ने अग्रवाल को अहमदाबाद से गिरफ्तार किया. वह दाहोद में पुलिस अधीक्षक थे. सिपाही जेठूभा सोलंकी को पाटन से और विनोद लिम्बाचिया को पालनपुर से गिरफ्तार किया गया. तीन सिपाहियों करनसिंह सिसोदिया, कांजी कुची और किरनसिंह चौहान को पाटन के सिद्दपुर से गिरफ्तार किया गया.
सीआईडी ने प्रजापति को कथित तौर पर गोली मारने वाले पुलिस इंस्पेक्टर आशीष पंडया को बाद में गिरफ्तार किया. मुठभेड़ के दौरान पांडया सब इंस्पेक्टर थे जिन्हें अप्रैल में इंस्पेक्टर के पद पर पदोन्नत कर राजकोट भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो में भेजा गया. इन सभी के खिलाफ आपराधिक षड्यंत्र, अपहरण और हत्या के आरोप हैं.