सरकार में सूत्रों के मुताबिक-टूजी विवाद को सुलझा लिया गया है.
प्रधानमंत्री से प्रणब और चिदंबरम की मुलाकात के तुरंत बाद ये खबर सामने आई. गौरतलब है कि सोनिया गांधी ने अल्टीमेटम दिया था कि आज किसी भी हालत में ये विवाद खत्म होना चाहिए. इसके बाद सोनिया गांधी ने प्रणब मुखर्जी, एके एंटनी और अहमद पटेल से मुलाकात की. तो दूसरी तरफ चिदंबरम से सलमान खुर्शीद और नरायाण सामी मिले.
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शाम को जब सलमान खुर्शीद चिदंबरम से मिलकर निकले तो उन्होंने कहा था कि ऑल इज वेल. और इसी के बाद कांग्रेस ने पीसी करके कह दिया कि वित्तमंत्रालय के नोट में कोई नयी बात नहीं है और वैसे भी इस नोट से चिदंबरम पर कोई आपराधिक आरोप साबित नहीं होता है.
इसके बाद प्रणब मुखर्जी समेत पार्टी के चार मंत्रियों ने साझा प्रेस कांफ्रेंस कर पार्टी और सरकार की तरफ से चिदंबरम को क्लीनचिट दे दिया. कहा गया कि चिदंबरम पर हमला नहीं किया गया था और चिदंबरम की भूमिका मामले में संदेह के घेरे में नहीं है.
वैसे आपको ये बता दें कि सारी प्रक्रिया ने जोर तब पकड़ा जब गुरुवार की सुबह चिदंबरम ने आलाकमान को संकेत दिया कि उन्हें प्रेस वार्ता कर अपना पक्ष साफ करने का मौका दिया जाए वर्ना उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया जाए.
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पार्टी ने चिदंबरम को शांत रहने के लिए कहा और दूसरी तरफ उनकी चिंता दूर करने के लिए प्रयास तेज करने का आदेश जारी किया गया. नतीजा शाम होते होते विवाद खत्म. वैसे यहां ये भी बताना जरूरी है कि सुप्रीम कोर्ट में सीबीआई भी चिदंबरम के साथ खड़ी दिखी. सीबीआई ने अदालत में कहा कि केवल चिदंबरम पर आरोप लगाने के पीछे सीधे तौर पर राजनीतिक मकसद लगता है.
2जी स्पेक्ट्रम मसले पर चार मंत्रियों के साझा बयान में चिदंबरम को क्लीन चिट देने के मसले पर बीजेपी ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है. बीजेपी ने कहा है कि प्रणब मुखर्जी वित्त मंत्री को क्लीन चिट देने वाले होते कौन हैं. बीजेपी प्रवक्ता रविशंकर प्रसाद ने कहा कि अगर समय रहते कार्रवाई की गई होती तो रुक सकता था स्पेक्ट्रम घोटाला.
उन्होंने कहा, ‘चिदंबरम को मंत्रिपरिषद में रहने का कोई अधिकार नहीं है. उनके खिलाफ आपराधिक मामला चलाया जाना चाहिए.’ साथ ही बीजेपी ने 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन मसले में पी. चिदंबरम की भूमिका की जांच की भी मांग की है. बीजेपी ने इस पूरे मसले में चिदंबरम की भूमिका की जांच सीबीआई से कराने की मांग की है. बीजेपी ने चिदंबरम के खिलाफ आपराधिक मुकदमा चलाने की भी मांग की है.
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गौरतलब है कि इस पूरे प्रकरण में वित्त मंत्रालय के एक नोट ने सारा खेल बिगाड़कर रख दिया था. वित्त मंत्रालय के नोट में लिखा गया था कि अगर तत्कालीन वित्तमंत्री पी चिदंबरम चाहते तो 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाला न हुआ होता. वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने भी स्वीकार किया कि उनके मंत्रलाय ने पीएमओ को ऐसा नोट भेजा था. उसके बाद सरकार के दो वरिष्ठ मंत्रियों पी चिदंबरम और प्रणब मुखर्जी के बीच मनमुटाव और कांग्रेस के अंदर की कलह खुलकर सामने आ गई.
क्या है विवाद?
2जी स्पेक्ट्रम मामले को लेकर वित्त मंत्रालय की ओर से 15 मार्च 2011 को एक नोट तैयार किया गया था. इसमें कहा गया था कि तत्कालीन वित्त मंत्री (अब गृह मंत्री) पी. चिदंबरम चाहते तो 2जी स्पेक्ट्रम की नीलामी रोक सकते थे. यह नोट प्रधानमंत्री कार्यालय को भेजा गया था. इस मामले के सामने आने के बाद से विपक्ष चिदंबरम के इस्तीफे की मांग कर रहा है. जनता पार्टी के अध्यक्ष सुब्रमणयम स्वामी ने उच्चतम न्यायालय में वित्त मंत्रालय के इस नोट को सबूत के तौर पर पेश किया है और मांग की है कि अगर ए राजा दोषी हैं तो फिर चिंदबरम भी उतने ही दोषी हैं. विवाद के बाद से चिदंबरम अब तक 3 बार इस्तीफा देने की पेशकश कर चुके हैं.
क्यों बढ़ी बात?
2जी मामले में कांग्रेस में चल रही अंदरूनी कलह की मुख्य वजह वित्त मंत्रलाय का वह नोट है जिसमें कहा गया है कि अगर चिंदबरम ने जोर दिया होता तो यह घोटाला नहीं हुआ होता और सरकारी खजाने को इतनी भारी क्षति नहीं होती. चिदंबरम का कहना है कि उन्हें यह नोट क्यों नहीं दिखाया गया जबकि दूसरी ओर प्रणब मुखर्जी अपने रुख पर कायम हैं. मुखर्जी ने तो बुधवार को पीएमओ को दूसरा नोट भेजकर साफ कह दिया कि पीएमओ और कई मंत्रालयों से विचार-विमर्श के बाद वित्त मंत्रालय ने वो नोट तैयार किया था, जिसमें 2जी घोटाले में चिदंबरम की भूमिका पर उंगली उठाई गई थी.
क्या हैं हालात?
2जी मामले में कांग्रेस के अंदर जारी कलह के बीच मौजूदा हालात ये हैं कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी जल्दी से जल्दी इस विवाद का समाधान चाहते हैं. इसी सिलसिले में बैठकों का दौर लगातार जारी है. मुखर्जी भी चिंदबरम को महत्वपूर्ण सहयोगी बता चुके हैं. हालांकि चिदंबरम बहुत ही ज्यादा नाराज हैं और इस्तीफे की पेशकश कर चुके हैं.
विपक्ष का रुख
2जी मामले पर विपक्ष गृहमंत्री पी चिदंबरम के इस्तीफे की लगातार मांग कर रहा है. हालांकि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने चिदंबरम का बचाव करते हुए कहा है कि विपक्ष जल्दी चुनाव कराने को आतुर है इसलिए वो सरकार को अस्थिर करने की कोशिश कर रहा है. बीजेपी ने कहा है कि मामले में चिदंबरम उतने ही दोषी हैं जितने ए राजा. बीजेपी ने तो यहां तक कहा है कि हमें सरकार को गिराने की जरूरत नहीं है बल्कि सरकार खुद अपने कर्मों से ही अपने अंजाम तक पहुंच जाएगी.