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प्रणव मुखर्जी ने करुणानिधि से मुलाकात की

अगले हफ्ते की शुरूआत में बहुप्रतीक्षित मंत्रिमंडल विस्तार की अटकलों के बीच वित्त मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रणव मुखर्जी ने द्रमुक प्रमुख एम करुणानिधि से मुलाकात की. दोनों नेताओं की मुलाकात 2जी घोटाले को लेकर संप्रग सरकार से दयानिधि मारन के इस्तीफे की पृष्ठभूमि में हुई है.

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अगले हफ्ते की शुरूआत में बहुप्रतीक्षित मंत्रिमंडल विस्तार की अटकलों के बीच वित्त मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रणव मुखर्जी ने द्रमुक प्रमुख एम करुणानिधि से मुलाकात की. दोनों नेताओं की मुलाकात 2जी घोटाले को लेकर संप्रग सरकार से दयानिधि मारन के इस्तीफे की पृष्ठभूमि में हुई है.

मुखर्जी इसलिए द्रमुक प्रमुख से मिल रहे हैं ताकि यह जाना जा सके कि मारन और ए राजा की जगह पार्टी किसे मंत्री बनाना चाहेगी. इन दोनों को 2 जी घोटाले को लेकर केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा देना पड़ा है. फिलहाल संप्रग के इस महत्वपूर्ण घटक दल की तरफ से केंद्रीय मंत्रिमंडल में सिर्फ करुणानिधि के पुत्र एम के अलागिरि मंत्री हैं.

कांग्रेस और द्रमुक के बीच हाल के हफ्तों में यह पहली उच्चस्तरीय बैठक है. करुणानिधि 2जी घोटाले के सिलसिले में अपनी पुत्री कनिमोई की गिरफ्तारी के बाद से थोड़े नाराज चल रहे थे. हाल में दूसरी बार तिहाड़ जेल में अपनी पुत्री कनिमोई से मिलने वाले करुणानिधि ने संप्रग-2 सरकार की दूसरी सालगिरह पर आयोजित जलसे में हिस्सा नहीं लिया था. उन्होंने पार्टी का प्रतिनिधित्व करने के लिए टी आर बालू को भेजा था. उन्होंने सोनिया गांधी से भी मुलाकात नहीं की थी. इससे दोनों दलों के संबंधों में बढ़ते तनाव का संकेत मिला था.

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द्रमुक संसदीय दल के नेता बालू ने संकेत दिया कि पार्टी जल्दबाजी में नहीं है और वह फिलहाल मारन और राजा की जगह किसी और को नियुक्त करना नहीं चाहती. करुणानिधि के आवास पर मुखर्जी के पहुंचने से पहले मारन ने कल रात दिल्ली से लौटने के बाद दूसरी बार करुणानिधि से मुलाकात की. उन्होंने अपने इस्तीफे से जुड़े घटनाक्रम की उन्हें जानकारी दी.

मारन ने ऐसे समय में इस्तीफा दिया है जब कांग्रेस और द्रमुक के रिश्तों में तनाव है और खबरों में कहा गया है कि मुखर्जी की करुणानिधि से मुलाकात उनकी भावनाओं को शांत करने के लिए है. करुणानिधि अपनी पुत्री कनिमोई की गिरफ्तारी से आहत हैं.

सीबीआई ने उच्चतम न्यायालय से कहा था कि साल 2006 में दूरसंचार मंत्री रहने के दौरान मारन ने दूरसंचार प्रवर्तक सी शिवशंकरण को अपनी कंपनी एयरसेल को मलेशियाई फर्म को बेचने पर मजबूर किया था. मारन ने इसके एक दिन बाद केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दिया था.

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