वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी के पेट्रोलियम उत्पादों के दाम में वृद्धि को वापस लेने की संभावना से इनकार करने के बाद अब आम जनता को कमरतोड़ महंगाई से राहत की उम्मीद छोड़ देनी चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि शुल्कों में कटौती से सरकार के राजकोषीय घाटे पर कोई असर नहीं होगा.
यह पूछे जाने पर कि डीजल, घरेलू गैस तथा केरोसीन की कीमतों में वृद्धि में कुछ कमी की जाएगी, मुखर्जी ने कहा, ‘नहीं. कीमत वृद्धि को वापस लिये जाने का सवाल ही नहीं.’ वित्त मंत्री ‘अमेरिका-भारत आर्थिक एवं वित्तीय सहयोग’ सम्मेलन में भाग लेने वाशिंगटन आये हुए हैं. सम्मेलन का आयोजन भारतीय उद्योग परिसंघ तथा वाशिंगटन स्थित शोध संस्थान ब्रुकिंग इंस्टीट्यूट ने किया था.
अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के भाव में तेजी के मद्देनजर भारत सरकार ने डीजल के दाम में 3 रुपये प्रति लीटर, एलपीजी गैस में 50 रुपये प्रति सिलेंडर तथा केरोसीन के भाव में 2 रुपये प्रति लीटर की वृद्धि की है.
इसके अलावा सरकार ने कच्चे तेल एवं अन्य वस्तुओं पर लगने वाले उत्पाद एवं सीमा शुल्क में भी कटौती की है. इससे 49,000 करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान होने का अनुमान है.
पेट्रोलियम उत्पादों में वृद्धि का देश के कई भागों में विरोध हुआ है. कई राज्यों ने पेट्रोलियम उत्पादों पर लगने वाले मूल्य वर्धित कर (वैट) में कमी किये जाने की घोषणा की ताकि इसका आम लोगों पर कम असर पड़े. शुल्क में कटौती से राजस्व पर पड़ने वाले असर का जिक्र करते हुए मुखर्जी ने कहा कि राजस्व में कमी की भरपाई कर वसूली में वृद्धि से की जाएगी.
सरकार ने चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद का 4.7 प्रतिशत करने का लक्ष्य रखा है जो 2010-11 में 4.7 प्रतिशत था. वित्त वर्ष 2009-10 में यह 6.3 प्रतिशत था.
मुखर्जी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को पेट्रोलियम उत्पादों पर लगने वाले बिक्री कर को घटाने की संभावना पर विचार करने को कह चुके हैं ताकि आम आदमी पर कीमत वृद्धि के असर को कम किया जा सके.