विभिन्न घोटालों को लेकर सरकार पर चारों ओर से हो रहे हमलों के बीच प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भ्रष्टाचार पर जोरदार प्रहार करते हुए कहा कि यह सुशासन की जड़ों को खोखला करता है, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर छवि धूमिल होती है और अपने लोगों के आगे हमें शर्मिन्दा करता है.
राज्यों के मुख्य सचिवों की वाषिर्क बैठक को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि यह एक चुनौती है जिसका मुकाबला हमें सीधे तौर पर डटकर और तेजी से करना होगा.
प्रधानमंत्री ने कहा कि भ्रष्टाचार सुशासन की जड़ों को खोखला कर रहा है. यह तीव्र विकास के मार्ग में बाधा है, यह सामाजिक समावेशीकरण के हमारे प्रयास को पूरी तरह खत्म नहीं करती तो कम से कम प्रभावित जरूर करती है.
सिंह ने कहा कि इसके कारण अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हमारी छवि धूमिल होती है और यह हमें अपने लोगों के समक्ष शर्मिन्दा करता है.
इस बुराई से निपटने के लिए कानूनी, प्रशासनिक एवं अन्य उपाए करने के संदर्भ में हाल ही में वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी के नेतृत्व में गठित मंत्रियों के समूह का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि न्यायिक जवाबदेही और अनियमितताओं का पर्दाफाश करने वालों को सुरक्षा प्रदान करने से जुड़े दो विधेयक संसद में पेश किये जा चुके हैं.{mospagebreak}
वहीं दूसरी ओर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने महंगाई को काबू में रखने के लिए राज्यों में चुंगी, मंडी शुल्क और अन्य स्थानीय करों को खत्म किए जाने पर बल दिया है. सिंह ने उच्च महंगाई दर को आर्थिक वद्धि के लिए गंभीर खतरा बताते हुए कहा है कि इससे गरीब एवं कमजोर तबका प्रभावित हो रहा है.
उन्होंने कहा कि मंडी कर, चुंगी और स्थानीय कर समाप्त किए जाने की जरूरत है ताकि आवश्यकत वस्तुओं को एक स्थान से दूसरे स्थान तक भेजने में सहूलियत हो.
सिंह ने कहा कि यद्यपि पिछले कुछ वर्षों से अर्थव्यवस्था तीव्र वृद्धि की राह पर है पर ‘मुद्रास्फीति इस विकास के लिए आर्थिक वृद्धि की रफ्तार के लिए खतरा बन गयी है.
प्रधानमंत्री ने कहा कि इसलिए मंडी कर, चुंगी और स्थानीय करों को समाप्त करने की बड़ी जरूरत दिख रही है क्यों कि इन करों से आवश्यक वस्तुओं को लाने ले जाने में बाधाएं खड़ी होती हैं.
उन्होंने कहा कि घरेलू उपभोग के उच्च स्तर को पूरा करने के लिए विभिन्न जिंसों की उपलब्धता सुधारने के वास्ते संस्थागत व्यवस्था में आमूलचूल परिवर्तन की जरूरत है.
आंतरिक सुरक्षा की स्थिति के संदर्भ में प्रधानमंत्री ने कहा कि देश के कुछ हिस्सों में तनाव है. उन्होंने कहा कि यद्यपि महती गरीबी उन्मूलन के कार्यक्रमों में काफी सफलता मिली है, सेवाओं तक पहुंच हमेशा उतनी अच्छी नहीं रही जितनी हो सकती थी या होना चाहिए था.