संसद में उठने वाले एफडीआई जैसे विभिन्न मुद्दों पर संयुक्त रणनीति तैयार करने के लिए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने शुक्रवार को यूपीए के नेताओं के लिए रात्रि भोज का आयोजन किया है.
संसद का शीतकालीन सत्र अगले सप्ताह से शुरू हो रहा है जो करीब एक महीने चलेगा. प्रधानमंत्री ने इससे पहले इसी तरह की भोज बैठकें सरकार को बाहर से समर्थन दे रही समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के नेताओं के लिए भी की थीं.
सिंह ने पिछले सप्ताह सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव और उनके पुत्र एवं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को रात्रि भोज दिया था और इसके बाद रविवार को बसपा प्रमुख मायावती को दिन के भोजन पर आमंत्रित किया था.
संसद में एफडीआई मुद्दे पर विपक्ष की ओर से मत विभाजन के प्रावधान वाले नियमों के तहत चर्चा कराने या अविश्वास प्रस्ताव लाए जाने को लेकर आशंकित प्रधानमंत्री सहयोगी दलों और सरकार को बाहर से समर्थन दे रहे दलों से ताल मेल बिठाने का प्रयास कर रहे हैं.
वाम दलों ने एफडीआई पर मत विभाजन के नियमों के तहत संसद में चर्चा कराने के प्रस्ताव का नोटिस दिया है. इसके अलावा बीजेपी, जदयू और इस मुद्दे पर यूपीए से अलग हुई तृणमूल कांग्रेस ने भी ऐसे ही नोटिस दिए हैं.
ऐसे नोटिस देने वालों में तृणमूल कांग्रेस की शताब्दी राय, भाजपा के रमेश ब्यास, ए टी नाना पाटिल, हंसराज अहिर और जदयू के राजीव रंजन सिंह शामिल हैं.
सरकार की मुश्किलें बढ़ाते हुए यूपीए के घटक दल द्रमुक ने इस बारे में पत्ते खोलने से इंकार कर दिया है कि वह विपक्ष के ऐसे प्रस्तावों पर क्या रुख अपनाएगा. द्रमुक प्रमुख एम करुणानिधि ने बुधवार चेन्नई में कहा कि एफडीआई पर उनकी पार्टी का रुख ‘रहस्य’ रहेगा.18 सांसदों के साथ द्रमुक लोकसभा में संप्रग का दूसरा सबसे बड़ा दल है.
अभी सरकार को 545 सदस्यीय लोकसभा में द्रमुक के सदस्यों सहित 265 सदस्यों का समर्थन प्राप्त है. अगर 22 सांसदों वाली समाजवादी पार्टी और 21 सांसदों वाली बसपा का समर्थन उसे मिल जाता है तो इस सदन में उसके समर्थक सदस्यों की संख्या 300 को पार कर जाएगी.
लोकसभा में बहुमत साबित करने के लिए 273 सदस्यों का समर्थन चाहिए. बसपा या सपा में किसी ने अभी तक यूपीए से समर्थन वापस लेने का संकेत नहीं दिया है.