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भारत ने पृथ्वी-2 बैलिस्टिक मिसाइल का सफल प्रायोगिक परीक्षण किया

भारत ने आज उड़ीसा तट के चांदीपुर स्थित एकीकृत परीक्षण स्थल (आईटीआर) से एक घंटे के भीतर परमाणु आयुध ले जाने में सक्षम दो पृथ्वी-2 मिसाइलों का प्रायोगिक परीक्षण किया. यह परीक्षण सेना के नियमित परीक्षणों का हिस्सा है.

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भारत ने आज उड़ीसा तट के चांदीपुर स्थित एकीकृत परीक्षण स्थल (आईटीआर) से एक घंटे के भीतर परमाणु आयुध ले जाने में सक्षम दो पृथ्वी-2 मिसाइलों का प्रायोगिक परीक्षण किया. यह परीक्षण सेना के नियमित परीक्षणों का हिस्सा है.

रक्षा सूत्रों ने बताया ‘सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइलें आईटीआर के प्रक्षेपण परिसर-3 से एक घंटे के अंतराल पर सुबह लगभग सवा आठ बजे और सवा नौ बजे मोबाइल लॉंचरों से दागी गईं.’ अधिकतम 350 किलोमीटर की दूरी तक मार करने वाली पृथ्वी-2 मिसाइल 500 से 1000 किलोग्राम भार तक के आयुध ले जाने में सक्षम है.

सूत्रों ने कहा कि सशस्त्र बलों में पहले ही शामिल की जा चुकी देश में ही विकसित मिसाइलों का यह परीक्षण सेना की सामरिक बल कमान (एसएफसी) के नियमित परीक्षणों का हिस्सा है.

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सूत्रों ने कहा कि पहला प्रायोगिक परीक्षण सफल रहा जबकि दूसरे परीक्षण के परिणाम का अभी विश्लेषण किया जा रहा है. उन्होंने बताया ‘आज के प्रयोगिक परीक्षण के दौरान समूचे प्रक्षेपण पथ पर आधुनिक राडारों इलेक्ट्रो ऑप्टिक टेलीमेट्री केंद्रों और बंगाल की खाड़ी के प्रभाव बिन्दु क्षेत्र में मौजूद जहाजों के जरिए नजर रखी गई.’{mospagebreak}
इसी प्रक्षेपण परिसर से 24 सितंबर 2010 को भी एक प्रायोगिक परीक्षण किया गया था लेकिन उस दौरान मिसाइल कुछ तकनीकी खामियों की वजह से अपने कौशल प्रदर्शन में नाकाम रही.

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के एक अधिकारी ने कहा पृथ्वी-2 मिसाइल पूर्व के परीक्षणों में बार-बार अपनी क्षमता और सटीकता साबित करने में सफल रही है.’ सूत्रों ने कहा ‘भारतीय सेना द्वारा किए गए पूर्व के प्रायोगिक परीक्षणों में मिसाइल ने एकदम अचूक निशाना साधने की अपनी क्षमता का प्रदर्शन किया है और इसमें गलती की संभावना न के बराबर है.’ यह किसी भी मिसाइल भेदी मिसाइल को चकमा देने में सक्षम है और 2008 के प्रायोगिक परीक्षण में इसने 483 सेकंड की उड़ान के दौरान 43.5 किलोमीटर की उंचाई पर अपना प्रदर्शन किया था.

इसी तरह 12 अक्तूबर 2009 को आईटीआर से 350 किलोमीटर की दूरी पर स्थित दो अलग अलग ठिकानों को निशाना बनाकर कुछ मिनटों के भीतर दो मिसाइलें दागी गई थीं और इसमें सभी मानक हासिल हो गए थे.

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