पाकिस्तान में वेबसाइटों पर अपलोड कर तोड़ मरोड़कर पेश किये गये चित्र और भड़काउ वीडियो को लेकर भारत पड़ोसी देश के साथ सबूत साझा करेगा. इन भड़काउ सामग्रियों की वजह से बेंगलूर, पुणे, चेन्नई और मुंबई में रह रहे पूर्वोत्तर के लोगों ने अपने गृह प्रदेशों की ओर पलायन करना शुरू किया था.
केन्द्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिन्दे ने साइबर हमले को लेकर कहा, ‘हम निश्चित तौर पर पाकिस्तान के साथ सबूत साझा करेंगे.’ कुछ इसी तरह के विचार गृह सचिव आर के सिंह के भी थे. उन्होंने कहा कि भारत चाहता है कि उसकी ओर से मुहैया कराये गये सबूतों के आधार पर पाकिस्तान ऐसी गतिविधियों में लिप्त लोगों के खिलाफ कार्रवाई करे.
यह बयान ऐसे समय में आया है जब प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के साथ ईरान यात्रा पर गये भारत सरकार के अधिकारियों का कहना है कि गुट निरपेक्ष शिखर सम्मेलन के दौरान सिंह पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के साथ अलग से मुलाकात के दौरान संभवत: यह मुद्दा न उठायें.
आर के सिंह ने उन खबरों का खंडन किया, जिनमें उनके हवाले से कहा गया था कि पूर्वोत्तर के लोगों में भय पैदा करने के उद्देश्य से वितरित किये गये एसएमएस का मूलस्थान पाकिस्तान था. उन्होंने कहा, ‘मैंने कभी नहीं कहा कि एसएमएस का मूल स्रोत पाकिस्तान में था.’
सिंह ने कहा, ‘लेकिन हां, वेबसाइट पर लगाये गये थे. उनमें से अधिकांश तोड़ मरोड़ कर पेश किये गये चित्र और वीडियो पाकिस्तान से अपलोड किये गये थे.’
उन्होंने कहा कि भारत ने कभी नहीं कहा कि पाकिस्तान सरकार या उसकी खुफिया एजेंसी आईएसआई इन भड़काउ चित्रों के लिए जिम्मेदार हैं.
उधर शिन्दे ने कहा कि उन्होंने पाकिस्तान में अपलेड कर तोड़-मरोड़कर पेश किये गये चित्रों और भड़काउ वीडियो का मामला पाकिस्तान के गृह मंत्री रहमान मलिक के साथ 19 अगस्त को हुई टेलीफोन वार्ता के दौरान उठाया था.
उन्होंने कहा, ‘मैंने उनसे (मलिक से) यह भी कहा था कि इसमें शामिल पाकिस्तानी तत्वों के खिलाफ कार्रवाई करें.’
बेंगलूर, चेन्नई, पुणे और मुंबई जैसे शहरों में रह रहे पूर्वोत्तर के हजारों लोगों ने पिछले एक पखवाड़े के दौरान अपने गृह प्रदेशों को पलायन किया. पूर्वोत्तर के लोगों पर हमले की अफवाहों के कारण उपजे भय के कारण इतने बडे पैमाने पर पलायन हुआ.
सैकडों वेबपेजों पर अपलोड कर तोड़ मरोड़ कर पेश किये गये चित्रों और भड़काउ वीडियो के कारण ऐसा हुआ जिनमें गलत ढंग से कहा गया था कि असम में बोडो और मुस्लिमों के बीच संघर्ष के दौरान अल्पसंख्यकों पर अत्याचार किया गया.
सरकार ने ऐसे 300 से अधिक वेबपेजों पर रोक लगा दी, जिनमें भड़काउ सामग्री अपलोड की गयी थी.