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पाकिस्तान में नए मंत्रियों ने ली शपथ, कुरैशी नदारद

पाकिस्तान में शुक्रवार को प्रधामंत्री यूसुफ रजा गिलानी की मौजूदगी में कुल 22 मंत्रियों ने शपथ ली, लेकिन शपथ ग्रहण समारोह में निवर्तमान विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी का न पहुंचना हैरान करने वाली बात रही.

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पाकिस्तान में शुक्रवार को प्रधामंत्री यूसुफ रजा गिलानी की मौजूदगी में कुल 22 मंत्रियों ने शपथ ली, लेकिन शपथ ग्रहण समारोह में निवर्तमान विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी का न पहुंचना हैरान करने वाली बात रही.

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गिलानी मंत्रिमंडल के कुल 22 सदस्यों को राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई. इनमें कुल 21 कैबिनेट मंत्री, जबकि एक राज्य मंत्री है. सरकारी चैनल पीटीवी ने खबर दी थी कि कुल 23 मंत्री शपथ लेंगे. कुरैशी की ओर से समारोह में नहीं पहुंचने के बारे में कोई बयान नहीं आया है.

समाचार चैनलों ने सूत्रों के हवाले से खबर दी है कि कुरैशी ने शपथ लेने से इनकार कर दिया. आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि समारोह में कुरैशी के लिए कुर्सी रखी गई थी, लेकिन वह नहीं पहुंचे. रहमान मलिक, बाबर अवान, अहमद मुख्तार, रजा रब्बानी और अन्य मंत्रियों ने शपथ ली.

हिना रब्बाई खार ने बतौर राज्य मंत्री शपथ ली. गिलानी ने अपनी सरकार की नयी छवि पेश करने के मकसद से बुधवार को कैबिनेट भंग कर दी थी गिलानी के पिछले मंत्रिमंडल में 52 सदस्य थे. विपक्षी दल लगतार इस बात के लिए दबाव बना रहे थे कि मंत्रिमंडल का आकार छोटा किया जाए. {mospagebreak}

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पीपीपी को मुख्य विपक्षी पार्टी एमएमएल एन तथा अमेरिका और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष जैसे पश्चिमी दानदाताओं की ओर से संघीय कैनिबेट का आकार कम करने का दबाव झेलना पड़ रहा था. ये पक्ष सरकार के खर्चे में भारी कटौती किए जाने का भी दबाव बना रहे थे. साथ ही दोनों अमेरिका और आईएमएफ ने कर प्रणाली में सुधार पेश करने समेत व्यापक पैमाने पर आर्थिक सुधारों को लागू करने को भी कहा था. दानदाताओं ने कथित भ्रष्टाचार और धन के दुरूपयोग पर चिंता जाहिर की थी.

पिछले साल ऐतिहासिक संवैधानिक सुधार पैकेज विधेयक को पारित किए जाने के बाद उसके प्रावधानों के अनुसार कैबिनेट का आकार छोटा करने की जरूरत थी. सत्तारूढ़ पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी ने पिछले सप्ताह गिलानी को अपने जंबो कैबिनेट को भंग करने और छोटे मंत्रिमंडल के गठन के लिए अधिकृत किया था. विपक्ष तथा अंतरराष्ट्रीय दानदाताओं की ओर से राजनीतिक सुधारों की मांग के बीच यह कदम उठाया गया है.

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