पाकिस्तानी प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी की कैबिनेट से बाहर हुए पूर्व विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा है कि वह मंत्री रहें अथवा न रहें, लेकिन पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के लिए वह वफादार बने रहेंगे.
पिछले दिनों नई कैबिनेट के शपथ ग्रहण समारोह में न पहुंचने पर कुरैशी की पीपीपी के कुछ बड़े नेताओं ने आलोचना की थी. विदेश मंत्रालय न मिलने की वजह से वह इस समारोह में नहीं पहुंचे थे. कुरैशी ने एक बयान जारी कर कहा है कि उन्हें अपनी पार्टी और उसके नेतृत्व से निजी तौर पर कोई शिकायत नहीं है.
उन्होंने कहा कि मंत्री न रहने पर भी वह पार्टी के प्रति वफादार हैं. उन्होंने कहा, ‘मैं कैबिनेट बदले जाने के पार्टी नेतृत्व के फैसले का सम्मान करता हूं. मैंने देश हित को देखते हुए हमेशा ही पार्टी के फैसले को माना है.’ स्थानीय मीडिया के मुताबिक कुरैशी ने कहा कि वह पीपीपी का साथ नहीं छोड़ेंगे.
कुरैशी ने कहा, ‘मैंने पीपीपी के नेतृत्व से पूछा था कि मुझे पहले की तरह विदेश मंत्रालय क्यों नहीं दिया गया, जबकि गृह मंत्री रहमान मलिक सहित कई लोगों के मंत्रालयों में कोई तब्दीली नहीं की गई.’ राजनीति के जानकारों का कहना है कि कुरैशी ने अपनी स्थिति स्पष्ट करने के लिए यह बयान जारी किया है. पार्टी के कुछ नेताओं ने उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की मांग की थी और ऐसे में कुरैशी के राजनीतिक भविष्य को लेकर सवाल खड़े हो गए थे. {mospagebreak}
समाचार पत्र ‘डेली टाइम्स’ के मुताबिक पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) इस कोशिश में है कि कुरैशी फिर से उसके साथ आ जाएं, जिससे उसे दक्षिणी पंजाब में मजबूती मिलेगी. वर्ष 1990 के मध्य में कुरैशी पीएमएल-एन का साथ छोड़कर पीपीपी में शामिल हो गए थे.
उधर, राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के प्रवक्ता फरहतुल्लाह बाबर ने कुरैशी के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की खबरों से दूरी बना ली है. इससे पहले पीपीपी की प्रवक्ता फौजिया वहाब ने कहा था, ‘कुरैशी का पार्टी में कोई भविष्य नहीं है. पार्टी के अनुशासन का उल्लंघन करने और नेतृत्व पर सवाल खड़े करने के लिए उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी.’