भारतीय रिजर्व बैंक ने गुरुवार को रेपो और रिवर्स रेपो दरों में 0.25-0.25 फीसदी का इजाफा कर दिया है. रिजर्व बैंक का अनुमान है कि मार्च अंत तक मुद्रास्फीति 8 फीसदी पर आ जाएगी.
इससे पहले केंद्रीय बैंक ने इसे 7 फीसदी तक रहने का अनुमान लगाया था. इसके साथ ही आरबीआई ने वाणिज्यिक बैंकों के लिए लागू आरक्षित नकदी अनुपात 6 फीसदी को बरकरार रखा है.
पिछले साल मार्च से यह आठवां मौका है जब नीतिगत दरें बढ़ाई गई हैं. रेपो और रिवर्स रेपो दरों, प्रत्येक में चौथाई फीसदी की वृद्धि से बैंकों का कर्ज और महंगा होगा परिणामस्वरूप आने वाले दिनों में मकान, दुकान और वाहनों के लिये कर्ज पर ब्याज दरें और बढ़ सकती हैं.
ज्यादातर बैंकों ने कहा है इससे ब्याज दरों में जल्द वृद्धि हो सकती है. रिजर्व बैंक को आने वाले दिनों में मुद्रास्फीतिक दबाव बढ़ता हुआ दिखाई दे रहा है. विश्व बाजार में कच्चे तेल तथा कुछ अखाद्य वस्तुओं के बढते दाम से उसकी चिंता बढ़ी है. {mospagebreak}
बैंक ने कहा है कि घरेलू बाजार में पेट्रोलियम पदार्थों के दाम पूरी तरह से विश्व बाजार के दाम के साथ नहीं जुड़े हैं इसलिये इस मद में सब्सिडी बढ़ने का खतरा बरकरार है जिससे महंगाई भी बढ़ेगी.
महंगाई के खतरे को भांपते हुये केन्द्रीय बैंक ने मांग का दबाव कम करने के लिये बैंकों की अल्पकालिक उधारी वाली लेनदेन की दरों में चौथाई फीसदी और वृद्धि कर दी. रेपो दर, जिसपर बैंक कुछ अवधि के लिये रिजर्व बैंक से धन लेते हैं को 0.25 प्रतिशत बढाकर 6.75 प्रतिशत और रिवर्स रेपो, जिसपर रिजर्व बैंक बैंकों से अतिरिक्त नकदी उधारी के रूप में लेता है को भी 0.25 प्रतिशत बढ़ाकर 5.75 प्रतिशत कर दिया.
यह वृद्धि तुरंत प्रभाव से लागू कर दी गई है. वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी और योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिहं अहलूवालिया ने रिजर्व बैंक के इस कदम को महंगाई पर नियंत्रण की दिशा में सही ठहराया. लेकिन शेयर बाजार में ब्याज दरें बढ़ने की आशंका से गिरावट का रुख रहा. {mospagebreak}
बंबई शेयर बाजार का सेंसेक्स 209 अंक घटकर बंद हुआ. उद्योग जगत ने रिजर्व बैंक के कदम को आर्थिक वृद्धि के प्रतिकूल बताया. उद्योगों का कहना है कि लगातार मौद्रिक नीति की सख्ती से महंगाई पर तो अंकुश नहीं लगा लेकिन अब औद्योगिक उत्पादन जरूर घट जायेगा. हाल के महीनों में औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि पहले ही काफी कम रही है.
फिक्की महानिदेशक राजीव कुमार ने कहा, ‘रिजर्व बैंक का कदम हालांकि उम्मीद के अनुरूप है लेकिन ऐसे समय जब वैश्विक घटनाओं से बाजार में पहले ही काफी निराशा है केन्द्रीय बैंक के नये कदम से आर्थिक वृद्धि की संभावनाओं पर और प्रतिकूल असर होगा.’ रिजर्व बैंक ने आने वाले दिनों में महंगाई के जोखिम को भांपते हुये मार्च में मुद्रास्फीति के अनुमान को भी सात से बढ़ाकर आठ प्रतिशत कर दिया. {mospagebreak}
पिछले साल अप्रैल में वाषिर्क मौद्रिक नीति जारी करते हुये बैंक ने मार्च 2011 में मुद्रास्फीति का 5.5 प्रतिशत रहने का अनुमान व्यक्त किया था. फरवरी में सकल मुद्रास्फीति 8.31 प्रतिशत रही है जबकि जनवरी 2011 में यह 8.23 प्रतिशत पर थी. बैंक ने कच्चे तेल और अखाद्य वस्तुओं के ऊंचे दाम का असर राजकोषीय घाटे पर पड़ने की भी आशंका जताई है.
बैंक का मानना है कि पेट्रोलियम और उर्वरक सब्सिडी बढने से सरकारी खजाने पर दबाव बढ़ेगा. बजट में अगले साल राजकोषीय घाटा कम होकर 4.6 प्रतिशत रहने का अनुमान व्यक्त किया गया है. बैंक ने कहा है कि इसका असर आर्थिक वृद्धि की रफ्तार पर भी पड़ सकता है.
समीक्षा में उसने कहा है कि प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कर वसूली, वाणिज्यिक निर्यात और बैंक कर्ज, कृषि उत्पादन जैसे विभिन्न मोर्चों पर स्थिति बेहतर बनी है लेकिन औद्योगिक उत्पादन सूचकांक में घटबढ़ जारी है और खासकर पूंजीगत सामानों के कमजोर प्रदर्शन को देखते हुये निवेश पर असर पड़ सकता है.