महंगाई को काबू करने के नाम पर रिजर्व बैंक ने एक बार फिर से आम लोगों और साथ ही उद्योग जगत को भी झटका दे दिया है. गुरुवार को मौद्रिक नीति की अपनी मध्य तिमाही समीक्षा करते हुए रिजर्व बैंक ने रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट में चौथाई फीसदी की बढोतरी कर दी है. इस बढ़ोतरी के बाद रेपो रेट अब 7.5 फीसदी और रिवर्स रेपो रेट 6.5 फीसदी के स्तर पर पहुंच गया है. हालांकि बैंक ने सीआरआर यानी कैश रिजर्व रेश्यो में कोई बदलाव नहीं किया है.
रेपो रेट वह दर होती है, जिस पर कमर्शियल बैंक, आरबीआई से कम अवधि यानी शॉर्ट टर्म के लिए लोन लेते हैं. जाहिर सी बात है कि अगर बैंकों के लिए कर्ज महंगा होगा तो इसका असर होम लोन, कार लोन समेत तमाम दूसरे रिटेल लोन्स पर भी पड़ेगा. माना जा रहा है कि रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट में बढ़ोतरी के बाद आम लोगों के लिए भी बैंकों से कर्ज लेना महंगा हो सकता है.
पिछले 15 महीनों के दौरान ये 10वां मौका है जब महंगाई को कंट्रोल करने के लिए पॉलिसी दरों में बढ़ोतरी का फैसाल किया गया है. हालांकि अब तक महंगाई के मोर्चे पर कोई खास कामयाबी मिलती नहीं दिखी है.
रिजर्व बैंक द्वारा पिछले महीने साल 2011-12 के लिए जारी किए गए सालाना नीति दस्तावेज में कहा गया था कि निकट भविष्य में महंगाई पर नियंत्रण मुख्य मुद्दा होगा. रिजर्व बैंक ने यह भी कहा था कि ऊंची मूल्यवृद्धि अंत में चलकर देश की आर्थिक वृद्धि को प्रभावित करेगी. ऐसे में इस बढ़ोतरी को तय ही माना जा रहा था.